ईश्वर और विश्वास



एक पादरी महाशय समुद्री जहाज से यात्रा कर रहे थे,
रास्ते में एक रात तुफान आने से जहाज को एक द्वीप के पास लंगर डालना पडा ।

सुबह पता चला कि रात आये तुफान से जहाज में कुछ खराबी आ गयी है, जहाज को एक दो दिन वहीं रोक कर उसकी मरम्मत करनी पडेगी ।

पादरी महाशय नें सोचा क्यों ना एक छोटी बोट से द्वीप पर चल कर घूमा जाये,
अगर कोई मिल जाये तो उस तक प्रभु का संदेश पहँचाया जाय और उसे प्रभु का मार्ग बता कर प्रभु से मिलाया जाये ।

तो वह जहाज के केप्टन से इज़ाज़त ले कर एक छोटी बोट से द्विप पर गये, वहाँ इधर उधर घूमते हुवे तीन द्वीपवासियों से मिले ।

जो बरसों से उस सूने द्विप पर रहते थे ।

पादरी महाशय उनके पास जा कर बातचीत करने लगे।

उन्होंने उनसे ईश्वर और उनकी आराधना पर चर्चा की,
उन्होंने उनसे पूछा- क्या आप ईश्वर को मानाते हैं ।

वे सब बोले- “हाँ..।

फिर पादरी ने पूछा- “आप ईश्वर की आराधना कैसे करते हैं ।

उन्होंने बताया- ''हम अपने दोनो हाथ ऊपर करके कहते हैं "हे ईश्वर हम आपके हैं,
आपको याद करते हैं, आप भी हमें याद रखना ।

पादरी महाशय ने कहा- "यह प्रार्थना तो ठीक नही है ।

एक ने कहा- "तो आप हमें सही प्रार्थना सिखा दीजिये ।

पादरी महाशय ने उन सभी को बाईबल पढना,
और प्रार्थना करना सिखाया ।

तब तक जहाज बन गया। पादरी अपने सफर पर आगे बढ गये ।

अगले दिन बाद पादरी ने जहाज के डेक पर टहलते हुवे देखा, वह तीनो द्वीपवासी जहाज के पीछे‌-2 पानी पर दौडते हुवे आ रहे हैं ।

उन्होने हैरान होकर जहाज रुकवाया, और उन्हे ऊपर चढवाया ।

फिर उनसे इस तरह आने का कारण पूछा-  “वे बोले ''फादर!! आपने हमें जो प्रार्थना सिखाई थी,
हम उसे अगले दिन ही भूल गये। इसलिये आपके पास उसे दुबारा सीखने आये हैं,
हमारी मदद कीजिये ।

पादरी ने कहा- ठीक है, पर यह तो बताओ तुम लोग पानी पर कैसे दौड सके ।

एक ने कहा-  हम आपके पास जल्दी पहुँचना चाहते थे, सो हमने ईश्वर से विनती करके मदद माँगी और कहा,,
 हे ईश्वर, दौड तो हम लेगें बस आप हमें गिरने मत देना ।
और बस दौड पडे ।

अब पादरी महाशय सोच में पड गये,, उन्होने कहा- आप लोग और ईश्वर पर आपका विश्वास धन्य है ।
आपको अन्य किसी प्रार्थना की आवश्यकता नहीं है ।
आप तो बस पहले कि तरह प्रार्थना करते रहें ।।

ये कहानी बताती है...
कि ईश्वर पर विश्वास,
ईश्वर की आराधना प्रणाली से अधिक महत्वपूर्ण है ।।

सुमरण हो तो हो कुछ इस तरह कि भक्त-भगवान में भेद ना रहे ।
जब हृदय द्वार पर दस्तक हो आराध्य की पगलु तो ही मेल मिले ।।

*🌹स्वामीज्ञानामृत🌹*

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