किशोरी जी की कृपा

🙏🏼🙏🏼 मीरा नाम की एक लड़की थी ।जो कि बचपन से भी अपाहिज थी ।बचपन में ही उसके मां बाप चल बसे थे ।वह अपने काका काकी के पास रहती थी। मीरा बैसाखी के सहारे ही चलती थी। उसकी काकी पहले तो मीरा को अपने पास रखने में आनाकानी कर रही थी लेकिन फिर उसके मन में दया आ गई कि एक तो अपाहिज ऊपर से लड़की जात कहां जाएगी ।तो उसने दया वश उसको अपने पास रख लिया। मीरा बहुत ही सरल स्वभाव  वाली लड़की थी ।सांवले रंग की तीखे नैन नक्श वाली और मधुर वाणी वाली लड़की थी ।काकी को मीरा का एक सुख था कि अपाहिज होने के बावजूद भी वह घर का सारा काम करती थी। बैसाखी के सहारे ही वो यमुनाजी से जाकर जल भरकर लाती, कपड़े धोती ,खाना बनाती घर का सारा काम करती। काकी को इस बात का बहुत ही सुख था। मीरा इतनी दयालु प्रवृत्ति की लड़की थी कि रास्ते में अगर कोई जीव जंतु उसको घायल अवस्था में पड़ा मिल जाता तो वह विचलित हो जाती हो जल्दी जल्दी उसकी महरम पट्टी करनी शुरू कर देती। अब मीरा बड़ी हो चुकी थी ।एक दिन उसके गली में एक भिखारी भीख मांगने आया वह बहुत ही सुंदर भजन गा रहा था ।
"किशोरी तेरो नाम परम सुखदाई ओ लाडो तेरो नाम परम सुखदाई"
मीरा भिखारी  की आवाज सुनकर भागी भागी  अपने घर से नीचे देखने लगी कि इतना सुंदर भजन कौन गा रहा है तो उसने जब भिखारी  को देखा तो 20-25 साल का भिखारी  यह भजन गा रहा था और साथ-साथ में भीख मांग रहा था ।मीरा को यह भजन इतना आनंदमई लगा कि अब तो रोज जब भी  भिखारी गली में आता और यह भजन गाता था तो मीरा मंत्रमुग्ध होकर यह भजन अपने चौबारे पर खड़े होकर सुनती और साथ में भिखारी को भोजन देती ।
एक दिन उससे रहा नहीं गया और वह नीचे उतरकर  जब भिखारी आया तो उसके पास जाकर बोली यह जो तुम भजन  गाते हो यह किसके लिए गाते हो यह किशोरी  कौन है यह लाडो कौन है ।मुझे यह भजन इतना अच्छा लगता है कि यह भजन सुनकर मेरा तो मन सारा दिन विचलित रहता है और मेरा मन करता है कि तुम जिसके बारे में भजन गा रहे हो अगर उसका नाम इतना सुखदाई है अगर मैं उसको देख लूं तो वह मुझे कितना सुख देगी। भिखारी कहने लगा क्या तुम किशोरी जी को नहीं जानती क्या तुम लाडो जी को नहीं जानती ।तो वह कहती नहीं असल में भिखारी के मन में यह पाप आ गया था कि यह लड़की अपाहिज है मेरे साथ चले और मेरे साथ होने के कारण इसको तो लोग काफी भीख देंगे तो उसने मीरा को कहा किशोरी जी ऐसे तुम्हें नहीं मिलेंगी उनको मिलने के लिए तुम्हें मेरे साथ चलना पड़ेगा। मीरा बोली मैं ऐसे कैसे तुम्हारे साथ जा सकती हूं। मेरे काका काकी मुझे नहीं जाने देंगे ।तो भिखारी ने उसको एक सुझाव दिया ऐसे करो तू मेरे साथ लगन कर लो और फिर तू मेरे साथ चलो और मैं तुम्हें उस परम सुख देने वाली ब्रज की अधिराष्ठी   देवी किशोरी जी से मिलवा दूंगा। जब उसने ऐसी बात कही तो मीरा  का मन अंदर से झूम उठा लिया क्या यह सच में मुझे किशोरी जी से मिलवा देगा। मुझे तो ऐसा सुनकर ही कितना सुख मिल रहा है तो जब मै उन से मिलूंगी तो मुझे कितना आनंद मिलेगा। तो उसने जाकर अपने काका काकी को सारी बात बताई उसकी  काकी आग बबूला हो गई कि क्या तुम्हारे इतने बुरे दिन आ गए हैं कि तुम एक भिखारी से लगन करोगी ।लेकिन मीरा अपनी बात पर अड़ी रही और काका काकी कहते जैसी तुम्हारी मर्जी तुम करो ।
तो मीरा भिखारी के साथ चल पड़ी ।भिखारी ने मंदिर में जाकर उसके साथ शादी की और फिर उसको अपने घर ले गया घर में उसके पास एक किशोरी जी की प्रतिमा थी तो वह कहने लगा यह है किशोरी जी। यह प्रतिमा उसको भिखारी की मां ने मरते वक़्त  दी थी  और  कहा था कि जब भी तुम भीख मांगने जाओ तो इसको प्रणाम करके जरूर जाना तो भिखारी जब भी घर से निकलता तो किशोरी जी को प्रणाम करके निकलता तो यह जो भजन गाता था उसकी मां ने सिखाया था। अब मीरा भिखारी के घर में रहने लगी उसने उसके  बिखरे हुए  घर को  ठीक किया ।किशोरी जी को एक सुंदर से आसन में बिठा कर उन पर माला चढ़ाई ।और उसके रूप को निहारती हुई बोली की आप  वास्तव में ही बहुत सुंदर हो किशोरी जी ।
जब उसका पति घर वापस आया तो अपने घर को ढंग से व्यवस्थित देखकर हैरान हो गया ।उसने मीरा को कहा तुमने तो मेरे घर की दशा ही बदल दी है। तो भिखारी को अब मीरा पर अब दया आने लगी कि मैंने इसे धोखे से शादी की है। लेकिन यह तो मन की बहुत सुंदर है ।अब मीरा अपने पति को रोज कहती है मुझे तो किशोरी जी की प्रतिमा से नहीं बल्कि किशोरी जी से मिलना है ।अब भिखारी सोचने लगा कि मैं इसको लाडो से कैसे मिलावाऊ  मुझे तो खुद उसका पता मालूम नहीं ।एक दिन उसने सोचा कि जो हमारे गांव में एक मंदिर है वहां पर भी किशोरी जी ठाकुर जी की भव्य प्रतिमा  है तो मैं उसको वहां ले जाता हूं और वहां जाकर ठाकुर जी के और किशोरी जी के दर्शन करवा दूंगा और बोल दूंगा यहीं किशोरी जू  है और वह उसको मंदिर ले गया । लेकिन मंदिर में बहुत भीड़ थी तो मीरा के पति के मन में लालच आ गया कि अगर मीरा को मै इस मंदिर में बिठा दूं तो इसको अपाहिज  देखकर लोग उसको बहुत सारी भीख देंगे और साथ में यह भजन गाएगी तो और लोग इसकी तरफ आकर्षित होंगे। तो उसने मीरा को कहा कि तुम इस मंदिर की सीढ़ियों पर बैठ जाओ और किशोरी जी तुम्हें खुद यहां मिलने आएंगी ।तो मीरा तो जैसे पागल सी हो गई वह कहती क्या तुम सच कह रहे हो तो उसका पति बोला  हां यहां बैठ कर तू किशोरी  जी का ही भजन करती रहो तो मीरा वहां सीढ़ी पर बैठकर किशोरी जी का भजन गाने  लगी।
"किशोरी  तेरो नाम परम सुखदाई हो लाडली तेरो नाम परम सुखदाई।"
वह रोज उस मंदिर की सीढ़ी में आकर बैठने लगी और किशोरी जी का यह भजन गाने लगी। लोग उसके सामने बहुत सारे पैसे रख जाते थे लेकिन मीरा को तो पैसे से नहीं किशोरी जी से मतलब था। अब तो उसकी चिंता बढ़ने लगी कि मुझे आते इतने दिन हो गए हैं तो किशोरी जी मुझे मिलने क्यों नहीं आई। इसके कारण अब मीरा किशोरी जी के वियोग में इतने आंसू बहाती इतना तड़पती किशोरी जू   उसको मिलने नहीं आती। अब तो रो रो कर मीरा की आंखों में जख्म हो गए थे लेकिन फिर भी वह हर रोज मंदिर में आकर बैठती थी ।काश आज किशोरी जी मिलने आ जाए। वह सोचती अगर मैं आज नहीं जाऊंगी तो कहीं किशोरी जी आ कर वापस ना चली जाए ।बस इसी कारण वह रोज मंदिर में आती एक 1 दिन मंदिर में हरियाली तीज का उत्सव था। किशोरी जी और ठाकुर जी को बहुत सुंदर से झूले में विराजमान किया हुआ था। मंदिर में बहुत रौनक थी तो मीरा भी मंदिर की सीढ़ियों पर बैठकर वही भजन गा रही थी तभी वहां पर एक सुंदर सी स्त्री आई और कहने लगी बेटा तुम बहुत अच्छा भजन गाती हो। तो मीरा ने उसको बताया मैं जिसके लिए गाती हूं उसमें तो मुझे कभी कहा नहीं तो  औरत ने कहा तुम किसके लिए गाती हो तो मीरा ने उनको  सब बात बताई कि मैं तो यहां तो अपनी किशोरी जी को मिलने के लिए आती हूं लेकिन वह मुझे मिलने नहीं आती तो उस औरत ने कहा चलो आज मैं तुम्हें किशोरी जी से मिलवा लाती हूं तो मीरा झट से खड़ी हो गई और उसकी आंखों में झर झर  आंसू बहने लगे वह उस औरत  के चरणों में गिर पड़ी और कहने लगी क्या तुम झूठ तो नहीं बोल नहीं तो वह औरत उसको उठाती हुई बोली नहीं नहीं मुझे सौगंध है। किशोरी जी और ठाकुर जी तो आज साक्षात झूले में विराजमान है ।आज वो सब को दर्शन देंगे
तो मीरा अपनी  बैसाखियो को पकड़ कर धीरे धीरे मंदिर की सीढ़ियां चढ़ने लगी। और जब मंदिर के द्वार पर पहुंची तो उसने देखा कि झूले में साक्षात किशोरी जी और ठाकुर जी विराजमान है। सब लोगों को तो ऐसा लग रहा था कि झूले में तो ठाकुर जी और लाडली जू की प्रतिमा रखी हुई है। लेकिन मीरा को तो ठाकुर जी और किशोरी जी   साक्षात नजर आ रहे थे ।उसने देखा बहुत ही रूपवान सुंदर सलोने से ठाकुर जी और बहुत सारे गहनों और सुंदर वस्त्रों में सजी किशोरी जी झूले में बैठकर आनंद के साथ ठाकुर जी के साथ झूला झूल रही है। जब किशोरी जी ने मीरा को देखा तो उन्होंने अपनी दोनों दोनों बाहें फैलाकर मीरा को अपने पास आने के लिए कहा।क्योंकि  मीरा की अश्रुपूरित प्रार्थना  ने  किशोरी जू को पिघला  दिया था ।मीरा को तो जैसे सुध बुध ही नहीं रही कि मैं स्वपन देख रही हूं  या यह सच में है ।तो मीरा धीरे-धीरे अपनी बैसाखियों के सहारे झूले की तरफ बढ़ने लगी तो किशोरी जी झूले से उतर कर  मीरा के पास आई और उसने मीरा को अपने गले लगा लिया। ठाकुर जी भी उसके पास खड़े थे ।किशोरी जी के गले लग कर मीरा को इतना सुख मिला और वह कहने लगी किशोरी जी मेरा पति ठीक ही कहता था तुम्हारा  नाम भी सुखदाई है और तुम्हारे गले लगना तो उससे भी ज्यादा सुखदाई है। तभी अचानक से जिस  झूले पर ठाकुर जी और किशोरी जी  विराजमान थे उनका झूला अचानक से एक तरफ से टूट गया तो मीरा ने जल्दी से अपनी दोनों बैसाखियो को झूले के एक तरफ लगा दिया और झूला टूटने से बच गया। किशोरी जी और ठाकुर जी मीरा को एसा करते   देखकर बहुत प्रसन्न हुए और किशोरी जी   ने पकड़कर मीरा को फिर अपने गले लगा लिया और उसके बाद ना जाने मीरा कहां चली गई। मीरा का  किसी  को पता नहीं चला कि  वो कहां चली गई है  ऐसे लगता था कि किशोरी जी ने उसे अपने  मे समा लिया है। लेकिन आज भी झूले में मीरा की दोनों  बैसाखिया  लगी हुई है। और हर साल हरियाली तीज पर किशोरी जी और ठाकुर जी को झूले पर विराजमान किया जाता है।
बोलो  हरियाली  तीज  की जय हो ।
किशोरी जू और ठाकुर जी की  जय हो ।

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