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*** प्रेमविभोर एक बालिकाकी कथा ***

उड़ीसामें बैंगन बेचनेवालेकी एक बालिका थी | दुनियाकी दृष्टिसे उसमें कोई अच्छाई नहीं थी | न धन था, न रूप | किन्तु दुनियाकी दृष्टिसे नगण्य उस बालिकाको संत जयदेवजीका पद बहुत ही भाता था | वह दिन-रात उसको गुनगुनाती रहती थी और भगवानके प्रेममें डूबती-उतराती रहती थी | वह घरका सारा काम करती, पिता-माताकी सेवा करती और दिनभर जयदेवजीका पद गुनगुनाया करती और भगवानकी यादमें मस्त रहती | पूर्णिमाकी रात थी, पिताने प्यारी बच्चीको जगाया और आज्ञा दी कि बेटी ! अभी चाँदनी टिकी है, ईसी प्रकाशमें बैंगन तोड़ लो जिससे प्रातः मैं बेच आऊँ | वह गुनगुनाती हुई सोयी थी और गुनगुनाती हुई जाग गयी | जागनेपर इस गुनगनानेमें उसे बहुत रस मिल रहा था | वह गुनगुनाती हुई बैंगन तोड़ने लगी, कभी इधर जाती, कभी उधर; क्योंकि चुन-चुनकर बैंगन तोड़ना था | उस समय एक ओर तो उसके रोम-रोमसे अनुराग झर रहा था और दूसरी ओर कण्ठसे गीतगोविन्दके सरस गीत प्रस्फुटित हो रहे थे | प्रेमरूप भगवान् इसके पीछे कभी इधर आते, कभी उधर जाते | इस चक्करमें उनका पीताम्बर बैंगनके काँटोंमें उलझकर चिथड़ा हो रहा था, किन्तु इसका ज्ञान न तो बालाको हो रहा था और न उसके पीछे-पीछे दौड़नेवाले प्रेमी भगवानको ही |
विश्वको इस रहस्यका पता तब चला जब सबेरे जगन्नाथजीका पट खुला और उस देशके राजा पट खुलते ही भगवानकी झाँकीका दर्शन करने गये | उन्हें यह देखकर बहुत दुःख हुआ कि पुजारीने नये पीताम्बरको भगवानको नहीं पहनाया था, जिसे वे शामको दे गये थे | वे समझ गये कि नया पीताम्बर पुजारीने रख लिया है और पुराना पीताम्बर भगवानको पहना दिया है | उन्होंने इस विषयमें पुजारीसे पूछा |
बेचारा पुजारी इस दृश्यको देखकर अवाक था | उसने तो भगवानको राजाका दिया नया पीताम्बर ही पहनाया था, किन्तु राजाको पुजारीकी नीयतपर संदेह हुआ और उन्होंने उसे जेलमें डाल दिया |
निर्दोष पुजारी जेलमें भगवानके नामपर फूट-फूटकर रोने लगा | इसी बीचमें राजा कुछ विश्राम करने लगा और उसे नींद आ गयी | स्वप्नमें उसे भगवानके दर्शन हुए और सुनायी पड़ा कि पुजारी निर्दोष है, उसे सम्मानके साथ छोड़ दो | रह गयी बात नये पीताम्बरकी तो इस तथ्यको बैंगनके खेतमें जाकर स्वयं देख लो, पीताम्बरके फटे अंश बैंगनके काँटोंमें उलझे मिलेंगे | मैं तो प्रेमके अधीन हूँ, अपने प्रेमीजनोंके पीछे-पीछे चक्कर लगाया करता हूँ | बैंगन तोड़नेवाली बालाके अनुरागभरे गीतोंको सुननेके लिये मैं उसके पीछे-पीछे दौड़ा हूँ और इसीमें मेरा पीताम्बर काँटोंमें उलझकर फट गया |
जगन्नाथ-मन्दिरकी देख-रेख, भोग-आरती आदि सभी तरह व्यवस्था करनेवाले राजाके जीवनमें इस अद्भुत घटनाने रस भर दिया और भगवानके अनुरागमें वे भी मस्त रहने लगे | बैंगन तोड़नेवाली एक बालाके पीछे-पीछे भगवान् उसके प्रेममें घूमते रहे | यह कहानी फूसकी आगकी तरह फैल गयी | जगतके स्वार्थी लोगोंकी भीड़ उसके पास आने लगी | कोई पुत्र माँगता तो कोई धन | इस तरह भगवानके प्रेममें बाधा पड़ते देख राजाने उसकी सुरक्षा-व्यवस्था की | इस तरहसे उस बैंगन तोड़नेवाली बालाका जयदेवके पदोंको गुनगुनाना अनवरत चलता रहा |

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