हरिया भक्त

🙏🏼हरिया नाम का एक आदमी मिठाई की दुकान चलाता था। वह अपने हाथ से ही सारी मिठाइयां दही और पनीर बनाता था ।जब भी वह कोई काम करता तो यही बोलता' हरि इच्छा '।जब भी कोई उससे ग्राहक सौदा लेने आता तो वह सौदा देते और तोलते समय बस यही कहता' हरि इच्छा '।वह कभी भी किसी कोकिसी चीज का दाम नहीं बताता बस जो कोई जितना पैसा देता हरि इच्छा कहते-कहते ले लेता ।उसकी बनाई मिठाई, दही और दूध बहुत मशहूर थी। लोगों से कम दाम लेकर और ज्यादा सामान देखकर भी उसका गल्ला पैसों से भरा रहता था। उस पर हरि की खूब कृपा थी ।घर पर उसकी एक छोटी बहन और बूढ़ी मां थी। घर में भी कोई कमी ना थी। अब हरिया की शादी बड़ी धूमधाम से शारदा नामक एक सुंदर लड़की से हो गई ।शारदा और हरिया की जिंदगी बहुत ही खुशहाल थी। हरिया बहुत ही भोला भाला और सीधा इंसान था उसने कभी भी किसी से ऊंची आवाज में बात नहीं की थी। घर में भी वह अपनी मां बहन और बीवी से बहुत ही प्यार से बात करता था लड़ाई झगड़े का तो उसके घर में कभी नाम भी नहीं लिया गया था। एक दिन हरिया दुकान जाने में थोड़ा सा लेट हो गया तो घर से खाना खा कर नहीं गया तो हरिया की मां ने शारदा को कहा कि तुम दुकान पर हरिया को खाना दे आओ ।शारदा दुकान पर खाना देने गई तो उसने देखा कि हरिया कभी किसी को ज्यादा सौदा तोल कर दे रहा है और कभी किसी से कम पैसे ले रहा है ।उसको यह बात समझ ना आई उसने सोचा कि हरिया भोला भाला है तो सब लोग उसको बेवकूफ बना कर चले जाते हैं। तो उसने हरिया को कहा कि यह कैसी दुकान चला रहे हो तो हरिया बोला की हरी इच्छा से ।शारदा बोली ऐसे भी कोई व्यापार करता है तुम्हे  तो काम ही नहीं करना आता। कल से तुम दुकान पर नहीं जाओगे मैं तुमको बताऊंगी कि काम और व्यापार कैसे किया जाता है। तो हरिया बोला जैसे हरि इच्छा। शारदा पढ़ी लिखी लड़की थी तो उसने थोड़े से पैसे लगाकर तीन चार नौकर रख लिए और दुकान पर खुद बैठ गई ।अब नौकर ही सारी मिठाइयां पनीर और दही बनाते थे और शारदा बेचती थी। लेकिन दुकान पर इतनी बिक्री  ना होती ।जो सामान सुबह बनता शाम तक खराब हो जाता और जो भी कोई सौदा लेकर जाता वह वापस कर जाता कि यह खराब मिठाई हम ना लेंगे ,खराब पनीर और दूध हम ना लेंगे। एक हफ्ता ऐसे ही चलता रहा शारदा को दुकान पर बहुत घाटा हुआ ।वह हैरान थी की समान खराब कैसे हो जाता है ।नौकर भी उसकी नौकरी छोड़कर भाग गए तो शारदा शर्मिंदा  सी होती हुई हरिया के पास गई और बोली तुम कैसे इतना अच्छा सामान बना लेते थे ।और कैसे तुम्हारी बिक्री हो जाती थी ।मैं तो दुकान पर बैठी हूं तो सारा सामान ही खराब हो जाता है। तो हरिया बोला यह सब हरि इच्छा है चलो तुम दुकान पर मेरे साथ चलो मैं तुम्हें सब बताता हूं पहले तुम अपने मन से अहंकार की पट्टी खोलो और मेरी आंखों से देखो यानी कि हरि इच्छा से देखो जब वह दुकान पर जाता है तो मिठाईयां बनाता है तो शारदा  देखती है कि जब वह मिठाइयां बना रहा है उसके हाथ के नीचे दो हाथ और है। जब वह कोई सौदा तोलता है तो तोलते तोलते उसके हाथों के नीचे तो हाथ और होते हैं ।जब वह किसी से सौदे के पैसे लेता है तो पैसे लेते समय हरिया के हाथ के नीचे दो हाथ और होते हैं। शारदा एकदम से हैरान होकर चक्कर खाकर गिरते-गिरते बचती है और हरिया से पूछती है कि यह कैसी माया है यह दो हाथ तुम्हारे हाथ के नीचे किसके हैं तो हरिया बोला जब मैं छोटा था तो मेरी मां ने मेरा नाम हरिया रखा था इसका मतलब हरी +आ
(हरि आओ)और जब से हरी मेरे पास आए हैं तब से वह गए ही नहीं ।यह दो थहा तो उस हरि के हैं । यही सच्चा सौदा करते हैं ।मैं तो सिर्फ एक जरिया हूं। इसलिए मैं हर बात के साथ हरि इच्छा लगाता हूं ।क्योंकि उन्हीं की इच्छा से यह सब काम हो रहा है। शारदा यह सुनकर अपने पति के कदमों में गिर पड़ती है कहती है कि मैंने आप पर नहीं बल्कि उस हरी पर शक किया मुझे माफ कर दो ।आज से मैं भी आपके साथ उस हरि की शरण में हूं।

तो आओ हम भी  अपने आप को उस हरि  को सौंप  दे
Hare Krishna Hari bol..

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