*चरित्र*


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*किसी निर्धन परिवार का एक युवक जो , बुद्धिमान , स्वाभिमानी एवं दयालू प्रकृति का था । वह कठोर परिश्रम कर , मेहनत की रोटी ही खाता था । यदि उसके पास कोई भी मदद के लिए आ जाता , वह उसकी मदद के लिए सहर्ष तैयार हो जाता । उस नगर मे उसके इस व्यवहार की चर्चा होने लगी । उस नगर के राजा तक भी इसकी खबर पहुँची । राजा ने अपने सिपाहियों को भेज उसको बुलावाया । वह राजा के समक्ष पेश हुआ। राजा ने उससे पूछा कि : " तुम्हारे पास तुम्हारी सबसे मूल्यवान वस्तु क्या है ? " युवक ने उत्तर दिया:" चरित्र "! क्योंकि संसार मे व्यक्ति की नही चरित्र की ही , महत्ता होती है । राजा ने पूछा :" कैसे ? इसे सिद्ध करो ! युवक ने कहा ठीक है , परन्तु इसकी वास्तविकता नगर वालों को बाद मे ढिंढोरा पिटवाकर बताने का आश्वासन दें । राजा ने कहा " ठीक है " । युवक अगली सुबह अपने घर से निकला और मदिरालय मे गया , वहाँ से एक शराब की बोतल ली और नगर वालों के सामने से ही बोतल लिये नदी की ओर चला गया । यह देख नगर मे इसकी खबर जंगल मे लगी आग की तरह फैल गयी , कि वह तो अब भ्रष्ट हो गया है । अब वह जिस गली से निकलता , उस पर लोग ताने मारते ,उसे गालियाँ देते । राजा नगर ने यह देखा और उस युवक को अगले दिन बुलाया और कहा कि , तुमने अपनी बात सिद्ध कर दी कि " चरित्र की ही महत्ता है , व्यक्ति की नहीं " । अगले दिन रथ सजाया गया और उस रथ मे राजा ने उस युवक को अपने साथ ले नगर भ्रमण करते हुए , ढिढोरा पिटवाकर युवक की वास्तविकता से नगर वालों को अवगत कराया । एवं उस युवक को अपने सलाहकार के रूप मे नियुक्त करने की घोषणा भी की । यह देख लोगों का विश्वास उस पर पहले से कई गुना बढ गया एक पुरानी कहावत है , " धन गया , तो कुछ नही गया स्वास्थ्य गया तो , कुछ गया परन्तु चरित्र गया , तो सब कुछ चला गया ॥*
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