*बाँस का पेड़:-*

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
●▬▬▬๑۩🙏🙏۩๑▬▬▬●
꧁͜͡꧂😊 *Զเधे Զเधे*😊꧁͜͡꧂
●▬▬▬๑۩🙏🙏۩๑▬▬▬●

एक संत अपने शिष्य के साथ जंगल में जा रहे थे। ढलान पर से गुजरते अचानक शिष्य का पैर फिसला और वह तेजी से नीचे की ओर लुढ़कने लगा। वह खाई में गिरने ही वाला था कि तभी उसके हाथ में बांस का एक पौधा आ गया। उसने बांस के पौधे को मजबूती से पकड़ लिया और वह खाई में गिरने से बच गया।

बांस धनुष की तरह मुड़ गया लेकिन न तो वह जमीन से उखड़ा और न ही टूटा. वह बांस को मजबूती से पकड़कर लटका रहा। थोड़ी देर बाद उसके गुरू पहुंचे।उन्होंने हाथ का सहारा देकर शिष्य को ऊपर खींच लिया। दोनों अपने रास्ते पर आगे बढ़ चले.

राह में संत ने शिष्य से कहा- *जान बचाने वाले बांस ने तुमसे कुछ कहा, तुमने सुना क्या?*

शिष्य ने कहा- *"नहीं गुरुजी, शायद प्राण संकट में थे इसलिए मैंने ध्यान नहीं दिया और मुझे तो पेड-पौधों की भाषा भी नहीं आती. आप ही बता दीजिए उसका संदेश।"*

गुरु मुस्कुराए- *"खाई में गिरते समय तुमने जिस बांस को पकड़ लिया था, वह पूरी तरह मुड़ गया था।फिर भी उसने तुम्हें सहारा दिया और जान बची ली।"*

संत ने बात आगे बढ़ाई- *"बांस ने तुम्हारे लिए जो संदेश दिया वह मैं तुम्हें दिखाता हूं।"*

गुरू ने रास्ते में खड़े बांस के एक पौधे को खींचा औऱ फिर छोड़ दिया। बांस लचककर अपनी जगह पर वापस लौट गया।

*"हमें बांस की इसी लचीलेपन की खूबी को अपनाना चाहिए। तेज हवाएं बांसों के झुरमुट को झकझोर कर उखाड़ने की कोशिश करती हैं लेकिन वह आगे-पीछे डोलता मजबूती से धरती में जमा रहता है।"*

*"बांस ने तुम्हारे लिए यही संदेश भेजा है कि जीवन में जब भी मुश्किल दौर आए तो थोड़ा झुककर विनम्र बन जाना लेकिन टूटना नहीं क्योंकि बुरा दौर निकलते ही पुन: अपनी स्थिति में दोबारा पहुंच सकते हो।"*

शिष्य बड़े गौर से सुनता रहा। गुरु ने आगे कहा-

*"बांस न केवल हर तनाव को झेल जाता है बल्कि यह उस तनाव को अपनी शक्ति बना लेता है और दुगनी गति से ऊपर उठता है।"*

*"बांस ने कहा कि तुम अपने जीवन में इसी तरह लचीले बने रहना।*

गुरू ने शिष्य को कहा- *पुत्र पेड़-पौधों की भाषा मुझे भी नहीं आती। बेजुबान प्राणी हमें अपने आचरण से बहुत कुछ सिखाते हैं।*
🌹🌹🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🌹🌹

Post a Comment

1 Comments