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हमारे गांव की डॉक्टर

करुणा ऊंची पहाड़ी पर बने एक गांव में रहती थी ।वह गांव में ही बने स्कूल में रोज अकेली आया जाया करती थी ।बरसात के दिन थे ।पहाड़ी पर बहुत ही फिसलन थी करुणा अकेली ही स्कूल जा रही थी ।तभी पहाड़ी से उसका पैर फिसला और  वह पहाड़ी से  नीचे बहने वाली नदी में जा गिरी। नदी के बहाव के साथ साथ करूना ना जाने कहां तक बह गई ।
जहां पर पानी का बहाव थोड़ा सा कम हुआ तो करूणा  किसी गांव से  गुजरती नदी के  किनारे पर जा लगी ।तभी वहां पर एक धोबी जो कि नदी में कपड़े धो रहा था और साथ में उसकी बेटी थी।  उन्होंने करुणा को देखा तो वह दोनों भाग कर करुणा के पास गए। तो उन्होंने देखा कि करुणा मूर्छित पड़ी हुई है और उस को काफी चोटें भी आई हुई है और वे जल्दी से उसको उठाकर अपने घर ले गए और उसकी मरहम  पट्टी की। लेकिन उसको अभी तक होश नहीं आया था ।गांव के ही किसी वैद्य को बुलाकर उसका थोड़ा सा उपचार करवाया गया। अगले दिन करुणा को होश आया तो उसने अपने आप को एक चारपाई पर लेटा पाया ।उसने उठने की कोशिश की लेकिन उससे तो हिला भी नहीं जा रहा था तभी वह दर्द से कराह उठी तो धोबी की बेटी जिसका नाम अरुणा था वह भागी भागी उसके पास आई और कहने लगी सखी तुम कौन हो और पानी में कैसे बह कर आई ।करुणा का दर्द के मारे  बुरा हाल हो रहा था। उससे बोला भी नहीं जा रहा था लेकिन फिर भी उसने बताया कि कैसे वह पहाड़ी से फिसल कर  नदी में जा गिरी। तो अरुणा ने उसे बताया कि तुम हमें मुरछित  अवस्था में नदी के किनारे मिली तो हम लोगों ने तुम्हारी जान बचाई ।अब करुणा रोने लग पड़ी क्योंकि उससे  हिला भी नहीं जा रहा था। उसको अपने मां-बाप की बहुत याद आ रही थी तो अरुणा ने कहा रोती क्यों हो सखी  किशोरी जी सब ठीक कर देंगे। तो करूणा  हैरान हो अरुणा की तरफ देखने लगी उसने सोचा कि शायद किशोरी जी कोई गांव  की डाक्टर  होगी तो उसने कहा किशोरी जी मुझे कब ठीक करेगी। तो अरूणा कहती वह तो सब को ठीक करती है वह तुमको भी ठीक करेगी। तो करुणा को लगा कि गांव  में किशोरी जी बहुत अच्छी  डाक्टर है वह मुझे देखने आएगी और मुझे ठीक करेगी ।लेकिन एक हफ्ता बीत गया करूणा की तबीयत में कोई फर्क नहीं आ रहा था और वह बार-बार अरुणा को पूछती कि तुम्हारी किशोरी जी मुझे कब ठीक करेंगे अरुणा जो कि हमेशा कहती वह तो सब को ठीक करती है तुम्हे भी  ठीक करेगी। तब करूना बस किशोरी  जी के इंतजार में दिन काट रही थी वह बार-बार यही पूछती किशोरी जी कब आएगी किशोरी जी कब आएगी ।लेकिन अरुणा के पास इसका कोई जवाब नहीं था वो तो बस उसको तसल्ली देती जा रही थी किशोरी जी सब को ठीक करती है तुम्हें भी ठीक करेगी। 1 दिन अरुणा जो कि अपने बाबा के साथ नदी में कपड़े धोने गई थी तो पीछे से करुणा से अब रहा नहीं गया वह कहती थी शायद यह लोग किशोरी जी को नहीं बुलाएंगे अब मुझे  उनको ढूंढने के लिए गांव में जाना पड़ेगा ।तो वह हिम्मत करके थोड़ा सा हिली और चारपाई से नीचे उतरने की कोशिश की ।लेकिन उठ भी ना सकी और धम्म से जमीन पर गिर गई ।लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी   और वह अपने आप को घसीटती हुई   अरुणा के घर के बाहर चली गई ।अब बाहर निकल कर घसीटते  घसीटते अपने आप को गांव में ले गई और हर घर का दरवाजा खटखटा कर पूछने लगी किशोरी जी कहां मिलेगी   तो गांव वाले पूछते कि किस  किशोरी  की बात करी है तो वह कहती वह एक गांव की डॉक्टर है तो सब लोग कहते हैं यहां तो कोई भी किशोरी डॉक्टर नहीं है। घसीटते के कारण  उसके सारे शरीर में खून निकलने लग पड़ा था । लेकिन उसने हिम्मत न हारी अब वह गांव के बाहर आकर सब से पूछने लगी कि किशोरी जी कहां मिलेगी वह डॉक्टर है मेरी सखी अरुणा ने बताया था कि वह सब को ठीक करती है और तुम्हें भी ठीक करेगी ।तो गांव के किसी भी व्यक्ति से उसको किशोरी जी का पता नहीं मिला ।अचानक वहां से मंदिर के पुजारी जी गुजर रहे थे उन्होंने देखा कि एक लड़की जो कि घायल अवस्था में किसी का पता पूछ रही है तो वह उसके पास गए और उसको बड़े प्यार से पूछा की बेटी तुम कौन हो गांव में तो तुम्हें  कभी नहीं देखा तो करूणा  ने पुजारी जी को बताया कि कैसे वो पहाड़ी से नीचे गिर कर नदी में बहती हुई यहां आ गई थी और अरुणा ने मुझे बताया कि तुम्हें तो किशोरी जी ही ठीक कर सकती है   वो सब को ठीक करती है तुम्हें भी ठीक करेंगे मैं तो हजारों बार किशोरी जी को पुकार चुकी हूं कि आकर मुझे ठीक कर दो लेकिन लगता है उनके पास दूसरे मरीजों को देखने का समय है लेकिन मेरे लिए नहीं, तो आखिर हारकर मैं आज खुद ही इस अवस्था में उनको ढूंढने के लिए निकल पड़ी क्योंकि मुझे नहीं पता कि वह किस जगह पर बैठकर मरीजों का इलाज करती है ।लेकिन गांव में उसके बारे में किसी को नहीं पता तो क्या अरुणा झूठ बोल रही थी कि वह सब को ठीक करती है तुम्हें भी ठीक करेगी। पुजारी जी सब बातें बड़े गौर से सुन रहे थे वह अरुणा को जानते थे क्योंकि वह रोज मंदिर में पूजा करने के लिए आती थी तो वह समझ गए कि वह तो किशोरी जी यानी तीनों लोकों की स्वामिनी करुणामई श्री राधा रानी के बारे में कह रही थी ।वह करुणा को बोले कि मुझे पता है चलो मैं तुझे किशोरी जी के पास ले जाता हूं करुणा एकदम से मेरा हैरान और खुश होकर  पुजारी जी की तरफ देखती है और कहती है पुजारी जी मुझे जल्दी ले चलो अब मुझसे और दर्द  सहन नहीं होती ।जितनी जल्दी जाऊंगी उतनी जल्दी किशोरी जी मेरा इलाज शुरू करेंगी ।तो पुजारी जी उसको उठाकर मंदिर की चौखट पर ले जा कर लेटा देते हैं तो वो करुणा को कहते हैं तुम यही लेटो मैं अभी आता हूं वह अंदर जाकर एक लेप तैयार करना शुरू कर देते हैं ताकि वह करुणा के जख्मों पर लगा सके। उनको लेप  बनाने में काफी समय लग जाता है। करुणा जो है बाहर दर्द से कराह रही होती है और वह जोर-जोर से पुकारती है क्या किशोरी जी आप यहां हो ,किशोरी जी ,किशोरी जी कहकर वह जोर जोर से उनको अवाजे लगाती है  किशोरी जी की प्रतिमा ठाकुर जी के साथ उस मंदिर में तो साक्षात विराजमान हैं। उस की करुण पुकार अब किशोरी जी से सही नहीं जाती और वह एक स्त्री का रूप धारण करके जल्दी से वहां आ जाते हैं। और करुणा को कहते हैं कि मैं ही की किशोरी जी  हूं कहो क्या कहना है तो करुणा हाथ जोड़कर उनसे प्रार्थना करती है क्या आप ही गांव की डॉक्टर हो तो किशोरी जी मन्द मन्द मुस्कुरा कर कहती है हां बेटा मैं ही हूं तो वह कहती है तो फिर इतनी देर कहां थे मुझे तो आप को पुकारते पूरा एक महीना हो गया है लेकिन आप तो आई ही नहीं तो किशोरी जी ने कहा कि यह देखो मैं तो तेरे लिए दवा साथ लेकर आई हूं और जल्दी जल्दी से करुणा के  जख्मों पर लगाने लगी। किशोरी जी के हाथ लगते ही करुणा के जख्म तो जैसे गायब हो गए ।तो करूणा एकदम से तंदुरुस्त हो गई ।करुणा एकदम से खुश होकर झूमने लगी और कहने लगी अरुणा ठीक ही कहती थी कि तुम बहुत अच्छे डॉक्टर हो आपने तो मुझे ठीक कर दिया आपका लाख-लाख धन्यवाद पर मेरे पास आपको देने के लिए पैसे नहीं है ।किशोरी जी प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरती हुई बोली कोई नहीं बेटा तुम अरुणा की सखी हो अरूणा इस गांव की बेटी है यह गांव तो मुझे बहुत प्रिय है। इतना कहकर किशोरी जी करुणा को बोली तो मैं जाती हूं मुझे दूसरे मरीजों को भी देखना है। इतना कहकर किशोरी जी वहां से चले गए तभी अंदर से पुजारी जी बाहर आए और उन्होंने देखा कि करूणा तो बिल्कुल ठीक हो चुकी है तो मैं जब उन्होंने पूछा कि तुम ठीक कैसे हो गए अभी वह कुछ कहने ही वाली थी कि तभी अरुणा और उसके बाबा करुणा को ढूंढते ढूंढते मंदिर में आ गए तभी करुणा ने सब को बताया , मुझे तो इस गांव की डॉक्टर किशोरी जी ने ठीक किया है तो सब लोग हैरान हो गए तो अरुणा ने बताया किशोरी जी कोई डॉक्टर नहीं वह तो हमारी लाडली जू सरकार हमारी ईष्ट  देवी हैं वह देखो सामने उनकी मंदिर में ठाकुर जी संग प्रतिमा है तो करुणा हैरान होकर मंदिर में बनी किशोरी जी की प्रतिमा को देकर कहती हां हां यही तो थी जो मुझे ठीक करके गई हैं ।तो सब लोग हैरान होकर एक दूसरे का मुंह देखने लगे कि हमारी करुणामई सरकार किशोरी जी इतनी करुणामई है कि वह अरुणा की बात का मान रखने के लिए और करुणा की करुण पुकार सुनकर खुद चले आए। करूणा, अरुणा और गांव के सब लोग किशोरी जी का जय-जयकार करने लगे कि हे करुणामई आप वास्तव में सबका दुख करने वाली हमारे गांव की डॉक्टर हो।  हम सब पर अपनी कृपा दृष्टि हमेशा बनाए रखना। और ऐसे ही हमारी लाज बचाते रहना ।
बोलो करुणामई सरकार हमारी लाडली राधा रानी की जय हो।
गौर दासी सुरभि के शब्दों से

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