गोपाल जी की कृपा

*❣किसी गांव में छज्जूमल नाम❣*
का एक गुड बेचने वाला अपनी पत्नी और दो बेटों के साथ रहता था। उसकी पत्नी हर रोज गोपाल जी को भोग लगाती आरती करती उनका पूरा ध्यान रखती थी। उधर छज्जूमल  दूर गांव में जाकर गुड बेचता था। इसी तरह उनकी जिंदगी अच्छे से चल रही थी।उसके  बेटे बहुत नेक थे। परंतु दुर्भाग्यवश छज्जूमल की पत्नी अचानक चल बसी। छज्जूमल बहुत  उदास रहने लगा। फिर भगवान की जो इच्छा मान कर फिर वह अपने काम वापस  जाने लगा। उसके बेटे उसको समझाते बाबा अब हम अच्छा कमा लेते हैं हैं आप अब घर बैठे परन्तु  छज्जूमल ना माना। उसकी पत्नी रोज गोपाल जी को भोग लगाती थी।उसको तो भोग लगाना आता नहीं था । परंतु अब थोड़ा सा गूड ठाकुर जी के आगे रख देता ठाकुर जी  तो मीठे के शौकीन। उनको तो गुड़ खाने का चस्का लग गया। अब रोज काम जाने से पहले गोपाल जी को थोड़ा सा गुड भोग लगा देता था ।एक दिन   दोनों बेटे बोले बाबा घर की मरम्मत करवानीहैं तो थोड़ा सा सामान इधर-उधर करना पड़ेगा। बाबा बोला ठीक तो उन्होंने गोपाल जी को भी अलमारी में भूलवश रख दिया ।घर का काम शुरू हो गया पर गोपाल जी को अब गुड का भोग ना लगता।छज्जूमल अब रोज की तरह गांव में गुड़ बेचने गया रास्ते में थोड़ा सा विश्राम करने के लिए एक वृक्ष के नीचे बैठ गया ।ठंडी ठंडी हवा चल रही थी तभी छज्जूमल  कि आंख लग गई। तभी उसे लगा कि कोई उसे उठा रहा है और कह रहा है बाबा आज गुड न दोगे।छज्जूमल  ने एक दो बार अनसुना कर दिया उसे लगा कि कोई सपना है पर जब उसे कोई लगातार  हिलाताजा रहा था और बोल रहा था तो अचानक वह उठा और देखता हैकि 6- 7 साल का बालक उसे कह रहा है कि बाबा आज गुड़ ना दोगे।छज्जूमल  मन मे सोचने लगा कि मैंने तो इस बालक को कभी गुड न दिया फिर उसने सोचा कि गांव में ही किसी का बच्चा होगा ।छज्जूमल ने कहा हां बेटा ले लो ।तो उसे थोड़ा सा गुड दे दिया। गुड लेकर वह बालक गुडको मुंह में डालकर आहा आहा मीठा-मीठा कह कर वहां से भाग गया ।अब तो रोज ही वह बालक छज्जूमल को मिलता उसे गुड  लेता और नाचता गाता मीठा-मीठा कह कर भाग जाता। छज्जूमल  भी बच्चा समझकर उसको रोज गुड दे देता। अब घर का काम पूरा हो गया तो उस दिन घर में हवन पूजन रखा गया। छज्जूमल  अब गुड  बेचने ना गया। परंतु वह बालक तो अपने समय पर उस जगह पहुंच गया ।अब छज्जूमल वहां ना आया ।बालक ने तो घर जाकर मैया की जान खा ली और ता ता थैया मचाने लगे बोले मुझे तो गुड ही चाहिए मैया ने बहुत समझाया बर्फी मिठाई सब लाकर दिए लेकिन वह तो कहते मैं तो गुड  ही खाऊंगा ।मैया से बालक का रोना सहन न हुआ। और छज्जूमल  के घर का पता पूछते पूछते उसके घर पहुंचगई तो जाकर कहती बाबा मेरे बालक हो तो आपने गुड की आदत डाल दी आज आप आए नहीं ना आए तो गुड खाए बिना वह मान नहीं रहा। जो छ्ज्जूमल को उस बालक पर बड़ा प्यार आया उसने उसको अपनी गोद में बिठाया और गोदी में बिठा कर गुडा खिलाने लगा पता नहीं क्यों उस बालको  गुड़ खिलाते खिलाते छज्जूमल  की आंखों में अश्रु धारा बह निकली हृदय में अजीब सी हलचल होने लगी ।गुड़ खाकर बालक मीठा मीठा कह कर अपने घर चला गया ।हवन पूजन के बाद में फिर गोपाल जी की मूर्ति को रखा गया। अगले दिन छज्जूमल  नियम से गोपाल जी को गुड़ का भोग लगाकर काम पर चला गया। रास्ते में उसी जगह पर रुका अब तो उसे भी उस बालक को गुड़ खिलाने की जल्दी थी ।परंतु वह बालक आया ही नहीं ऐसे ही तीन-चार दिन बीते जो उसका मन बहुत बेचैन हुआ कि कहीं बालक बीमार तो नहीं ।उसने गांव जाकर सबको बालक के बारे में पूछा तोसब ने कहा ऐसा तो यहां कोई भी बालक नहीं रहता ।वह हैरान परेशान  होकर घर पहुंचा। घर पहुंच कर जब वह मंदिर में बैठा तो गोपाल जी की तरफ देखा वह मंद मंद मुस्कुरा रहे थे वह जैसे वह कह रहे हो बाबा जी मैं वही बालक हूं छज्जू मल का माथा ठनका कि वह सोचने लगे कि यह तो साक्षात गोपाल जी मुझसे गुड़ खाने आते थे वह कहने लगे हे गोपाल जी धन्य हो आप । गोपाल जी की ओर देख के उसकी आंखों में अश्रु धारा बहने लगी ।
बोलो बाल गोपाल की जय हो।

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