भक्तमाल माहात्म्य - 1

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🌸१. श्री वैष्णवदास जी द्वारा भक्तमाल माहात्म्य का पहला इतिहास वर्णन : श्री भक्तमाल के प्रथम श्रोता भगवान् ही हैं ➖➖➖➖🌺🙏
वृन्दावन में श्री प्रियादास जी के एक मित्र थे जिनका नाम था श्री गोवर्धननाथ दास । इन्होंने प्रियादास जी के सानिध्य में भक्तमाल का अध्ययन किया था ,वे भक्तमाल की बहुत मधुर कथा कहते थे । एक समय संतो की जमात लेकर साथ ये जयपुर पहुंचे । यह उस समय की बात है जब मुघलो के अत्याचार के कारण राज मानसिंह श्री गोविन्द देव जी को वृंदावन से जयपुर ले गए थे । संतो ने प्रेम से गोविन्द देव जी मंदिर में दर्शन किया । वहाँ के वासियो ने श्री गोवर्धननाथ दास जी से ठाकुर जी को भक्तमाल कथा सुनाने का आग्रह किया ।
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उन्होंने कहा – हमें पास ही साम्भर गांव में एक उत्सव में जाना है ।श्रोताओ ने आग्रह किया किंउत्सव जब आएगा तब आप चले जाना तब तक यहाँ कृपा करके भक्तमाल कथा सुनावे । कुछ दिन कथा कहने पर उन्होंने कहा – अब हमें उत्सव क निमित्त सम्भर गाँव जाना है ,लौटकर आनेपर पुनः कथा सुनाएंगे ।
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जब महाराज जी पुनः जयपुर आये तब श्रोता आनंदित हुए और भीड़ जमा होने लगी । संत भगवान् श्री गोविन्द देव जी के मंदिर में कथा सुनाने बैठे । कथा के प्रारम्भ में संत जी ने पूछा – हमें नित्य कथा कहने का अभ्यास है ,हमें क्रम मालुम नहीं है । हमने कथा कहाँ पर रोकी थी ? पिछली कथा में किस भक्त का चरित्र सुनाया था ?
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सब श्रोता मौन हो गए ,एक दूसरे का मुख देखने लगे । संत भगवान कहने लगे – आप लोग ध्यान देकर कथा नहीं सुनते है तब कथा आगे क्यों सुनावे ? वह पोथी बाँधने लगे और कहने लगे हम वृन्दावन जा रहे है । उस समय मंदिर में गौड़ीय परंपरा के सिद्ध संत गोस्वामी श्री राधारमण लाल जी विराजमान थे  जो वहाँ के प्रमुख पूजारी भी थे। श्री गोविन्द देव जी उनसे प्रत्यक्ष बातें करते थे ।
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प्रभु ने श्री राधारमण गोस्वामी जी को आवाज लगाकर अंदर बुलाया और कहा – बाबा आप कृपया जाकर श्री गोवर्धन नाथ दास जी से कह दीजिये की भक्त श्री रैदास जी का प्रसंग चल रहा था ,अब आप आगे की कथा सुनावे । प्रभु के श्रीमुख से यह बात सुनकर श्री राधारमण गोस्वामी जी के आँखों में अश्रु आ गए । उन्होंने जाकर गोवर्धन नाथ दास जी से कहा की – प्रभु कह रहे है की श्री रैदास भक्त तक की कथा हो चुकी है, अब आगे की कथा सुनावे ।
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गोवर्धन नाथ दास जी कहने लगे – हम इस बात को कैसे मान ले की प्रभु ने कहा है ? वे जानते तो थे की प्रभु ने यह बात कही है परंतु संत जी इस बात की प्रतिष्ठा करने चाहते थे की भक्तमाल के प्रथम श्रोता श्री भगवान् है । संत ने कहा – यदि सभी सामने भगवान् ने आपसे कही बात पुनःकहे तब हम मानेंगे । ऐसा लहत ही मंदिर से मधुर आवाज आयी – श्री रैदास भक्त तक की कथा हो चुकी है ,अब आगे की कथा सुनावे । भगवान् की बात सबने सुनी , श्री गोवर्धननाथ दास जी के आँखों से अश्रु बहने लगे । उन्होंने कहा – अब कितना भी विलंभ हो हम भगवान् को कथा सुनाकर ही जायेंगे ।
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इस तरह भगवान् ने स्वयं प्रमाणित किया की भक्तमाल के प्रथम श्रोता श्री भगवान् है –
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श्री गोविंद देव विख्याता ,कही पुजारी सौं यह बाता ।
श्री रैदास भक्त की गाथा, भई कहो आगे अब नाथा ।।
सुनि सु पुजारी के दृगन पानी बह्यो अपार ।
याके श्रोता आप हैं यहै कियो निरधार ।
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श्री भगवान् को भक्तमाल कथा बहुत अधिक प्रिय है । अनेक सिद्ध संतो का मत है की भगवान् नित्य अपने धाम में श्री भक्तमाल का पाठ करते है ।
🦋❣️जय श्री राधा कृष्णा❣️🦋
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