कृपा.......



एक बार एक संत अपने शिष्यों के साथ आश्रम में रहते थे। सुन्दर कुटिया और एक गाय थी। 

भगवान की ऐसी करनी हुई की बहुत तेज तूफ़ान आ गया। संत की सारी कुटिया टूट गई। छत्त भी गिर गई बस दीवार-दीवार रह गई।

संत कहते है हे भगवान तेरा बहुत बहुत शुक्रिया। अब सभी शिष्ये सोचते है अरे ये कैसे गुरुदेव है जो भगवान को धन्यवाद दे रहे हैं। 

गुरुदेव से कहते हैं गुरुदेव अपनी सारी कुटिया टूट गई, छत तक नही बची ओर आप भगवान को धन्यवाद दे रहे हैं।

संत कहते हैं अरे पागल देखो, कितनी तेज तूफ़ान आया और इस तूफ़ान में दीवार बच गयी। हैं न भगवान की किरपा और हम सब भी बच गए।

कुछ दिन के बाद उनकी गाय मर गई। सभी फिर से दुखी थे। लेकिन संत फिर कहते हैं भगवान आपकी बहुत किरपा हैं।

अब सब शिष्ये फिर से सोचते हैं की गुरुदेव क्यों धन्यवाद दे रहे हैं भगवान को। फिर पूछते हैं गुरुदेव अब हम दूध कैसे पिएंगे।

गुरुदेव कहते हैं बेटा अब हमे गऊ का दूध नही निकलना पड़ेगा। उसका गोबर नहीं उठाना पड़ेगा। 

उसके लिए चारा नही लाना पड़ेगा।
हर परिस्तिथि में खुश रहो और भगवान की कृपा का अनुभव करो।

इस तरह से भगवान की कृपा हम पर बरस रही है बस हम अनुभव नहीं कर पा रहे है।
एक चीज और हम भगवान से जीवन में क्या मांगे... ?

यदि किसी चीज की कमी है तो आप भगवान से केवल और केवल उनकी कृपा मांगिये क्योंकि कृपा में सब कुछ आ जाता है।

जय जय श्रीराधे जी

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