🙏🙇।। सदगुरु के मंत्र की ज्ञान गंगा ।। 🙇🙏


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✍️मकरन्द पांडे के घर किसी संत की दुआ से एक बालक का जन्म हुआ। 
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13-14 वर्ष की उम्र में वह बालक ग्वालियर के पास किसी गाँव में आम के एक बगीचे की रखवाली करने के लिए गया। 
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उसका नाम तन्ना था। वह कुछ पशुओं की आवाज निकालना जानता था।
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हरिदास महाराज अपने भक्तों को लेकर हरिद्वार से लौट रहे थे। वे उसी बगीचे में आराम करने के लिए रुके। 
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इतने में अचानक शेर की गर्जना सुनाई दी। शेर की गर्जना सुनकर सारे यात्री भाग खड़े हुए। 
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हरिदास महाराज ने सोचा कि 'गाँव के बगीचे में शेर कहाँ से आ सकता है ?' इधर-उधर झौंककर देखा तो एक लड़का छुपकर हँस रहा था। 
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महाराज ने पूछाः शेर की आवाज तूने की न ?

तन्ना ने कहाः हाँ... महाराज के कहने पर उसने दूसरे जानवरों की भी आवाज निकालकर दिखायी। 
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हरिदास महाराज ने उसके पिता को बुलाकर कहाः इस बेटे को मेरे साथ भेज दो।
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पिता ने सम्मति दे दी। हरिदास महाराज ने शेर, भालू या घोड़े-गधे की आवाजें जहाँ से पैदा होती हैं उधर (आत्मस्वरूप) की ओर ले जाने वाला गुरुमंत्र दे दिया और थोड़ी संगीत-साधना करवायी। 
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तन्ना साल में 10-15 दिन अपने गाँव आता और शेष समय वृंदावन में हरिदासजी महाराज के पास रहता। 
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बड़ा होने पर उसकी शादी हुई।
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एक बार ग्वालियर में अकाल पड़ गया। उस समय के राजा रामचंद्र ने सेठों को बुलाकर कहाः गरीबों के आँसू पोंछने के लिए चंदा इकट्ठा करना है।
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किसी ने कुछ दिया, किसी ने कुछ... हरिदास के शिष्य तन्ना ने अपनी पत्नी के जेवर देते हुए कहाः राजा साहब ! गरीबों की सेवा में इतना ही दे सकता हूँ।
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राजा उसकी प्रतिभा को जानता था। 
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राजा ने कहाः तुम साधारण आदमी नहीं हो, तुम्हारे पास गुरुदेव का दिया हुआ मंत्र हैं और तुम गुरु के आश्रम में रह चुके हो। 
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तुम्हारे गुरु समर्थ हैं। तुमने गुरुआज्ञा का पालन किया है। तुम्हारे पास गुरुकृपारूपी धन है। 
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हम तुमसे ये गहने-गाँठेरूपी धन नहीं लेंगे बल्कि गुरुकृपा का धन चाहेंगे।
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महाराज ! मैं समझा नहीं।
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तुम अगर गुरु के साथ तादात्म्य करके मेघ राग गाओगे तो यह अकाल सुकाल में बदल सकता है। 
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सूखा हरियाली में बदल सकता है। भूख तृप्ति में बदल सकती है और मौतें जीवन में बदल सकती हैं। 
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श्रद्धा और विश्वास से गुरुमंत्र जपने वाले की कविताओं में भी बल आ जाता है। तुम केवल सहमति दे दो और कोई दिन निश्चित कर लो। 
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उस दिन हम सब इस राजदरबार में ईश्वर को प्रार्थना करते हुए बैठेंगे और तुम मेघ राग गाना।
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राग-रगिनियों में बड़ी ताकत होती है। जब झूठे शब्द भी कलह और झगड़े पैदा कर सक देते हैं तो सच्चे शब्द, ईश्वरीय यकीन क्या नहीं कर सकता ? 
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तारीख तय हो गयी। राज्य में ढिंढोरा पीट दिया गया।
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उन दिनों दिल्ली के बादशाह अकबर का सिपहसालार ग्वालियर आया हुआ था। ढिंढोरा सुनकर उसने दिल्ली जाने का कार्यक्रम स्थगित कर दिया। 
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उसने सोचा कि 'तन्ना के मेघ राग गाने से क्या सचमुच बरसात हो सकती है ? यह मुझे अपनी आँखों से देखना है।'
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कार्यक्रम की तैयारी हुई। तन्ना थोड़ा जप-ध्यान करके आया था। उसका हाथ वीणा की तारों पर घूमने लगा। 
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सबने अपने दिल के यकीन की तारों पर भी श्रद्धा के सुमन चढ़ायेः
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'हे सर्वसमर्थ, करूणा-वरूणा के धनी, मेघों के मालिक वरूण देव, आत्मदेव, कर्ता-भोक्ता महेश्वर ! परमेश्वर ! तेरी करूणा-कृपा इन भूखे जानवरों पर और गलतियों के घर – इन्सानों पर बरसे...
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हम अपने कर्मों को तोलें तो दिल धड़कता है। किंतु तेरी करूणा पर, तेरी कृपा पर हमें विश्वास है। 
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हम अपने कर्मों के बल से नहीं किंतु तेरी करूणा के भरोसे, तेरे औदार्य के भरोसे तुझसे प्रार्थना करते हैं.....
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हे गोबिन्द !  हे गोपाल ! हे वरूण देव ! इस मेघ राग से प्रसन्न होकर तू अपने मेघों को आज्ञा कर सकता है और अभी-अभी तेरे मेघ इस इलाके की अनावृष्टि को सुवृष्टि में बदल सकते हैं।
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इधर तन्ना ने मेघ बरसाने के लिए मेघ राग गाना शुरु किया और देखते-ही-देखते आकाश में बादल मँडराने लगे.... 
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ग्वालियर की राजधानी और राजदरबार मेघों की घटाओं से आच्छादित होने लगा। 
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राग पूरा हो उसके पूर्व ही सृष्टिकर्ता ने पूरी कृपा बरसायी और जोरदार बरसात होने लगी !
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अकबर का सिपहसालार देखकर दंग रहा गया कि कवि के गान में इतनी क्षमता कि बरसात ला दे। 
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सिपहसालार ने दिल्ली जाकर अकबर को यह घटना सुनायी। अकबर ने ग्वालियर नरेश को समझा-बुझाकर तन्ना को माँग लिया। 
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अब तन्ना 'कवि तन्ना' नहीं रहे बल्कि अकबर के नवरत्नों में एक रत्न 'तानसेन' के नाम से सम्मानित हुए।
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शब्दों में अदभुत शक्ति होती। शब्द अगर भगवान के हों तो भगवदीय शक्ति भी काम करती है। 
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शब्द अगर मंत्र हों तो मांत्रिक शक्ति भी काम करती है। मंत्र अगर सदगुरु के द्वारा मिला हो तो उसमें गुरुत्व भी आ जाता है,,,
  🙏जय जय श्री राधे कृष्णा हरे हरे 🙏

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