परमेश्वर को तजू , पर 'गुरु' को न विसारुं

संत सहजोबाई कहती हैं -- 
   मैं राम को तज दूंगी, पर 'गुरु' को नहीं भूल सकती, क्योंकि परमात्मा के निज स्वरूप को, मैं उसके प्रकट स्वरूप 'गुरु' के तुल्य नहीं समझती, उसके कई कारण हैं..!!

1. परमेश्वर ने संसार बनाया और हमें इसमें जन्म दिया, पर 'गुरु' ने हमें जन्म मरण के चक्कर से निकाल लिया..!!

2. परमेश्वर ने 'पांच चोर' हमारे साथ लगा दिए, पर गुरु ने मुझे अनाथ समझकर उनसे बचा लिया..!!

3. परमेश्वर ने मुझे कुटुंब के मोह-जाल में फंसाया, पर गुरु ने मेरी ममता की बेड़ियों को काट दिया..!!

4. परमेश्वर ने मुझे रोग-शोक में फंसा दिया, पर गुरु ने मुझे योगी बनाकर, इनसे अतीत कर दिया, छुड़ा दिया..!!

5. परमेश्वर ने कर्म धर्म में मुझे भरमाया, पर गुरु ने मेरा 'आत्मरूप' मुझे दिखा दिया..!!

6. परमेश्वर ने अपने आपको मुझसे छुपाया, पर गुरु ने 'नाम' का दीपक देकर उसे हमें दिखा दिया..!!

7. परमेश्वर ने मुक्ति और बंधन दुनिया में रखे, पर गुरु ने मुक्ति और बंधनों के सारे भ्रमों को मिटा दिया..!!

    इसलिए मैं अपने गुरु 'चरनदास' पर तन और मन वारती हूं, मैं तो परमेश्वर को तज दूंगी, पर 'गुरु' को नहीं विसारुंगी...!!!!!!!!🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Post a Comment

0 Comments