आज के विचार
( क्या फ़र्क पड़ता है.....)
जाहि विधि राखे राम ताहिं विधि रहिये !
( श्रीतुलसीदास जी )
मै तुम्हे एक मन्त्र देता हूँ ..........बस जब जब तनाव आये ......जब जब परिवार में ऐसी वैसी घटना घटे....तब इस मन्त्र को दस बार बोलना ।
वो गम्भीर हो गए ...........बोले मन्त्र दीजिये ।
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बात है आज से 2 महिनें पहले की ......महाराष्ट्र से मेरे एक परिचित दम्पति आये थे .....दुःखी दोनों ही थे ..........पर पत्नी अपनें दुःख को छुपाती थीं........पर पति ! उन्होंने बड़ी मुश्किल से मुझे अपना दुखड़ा सुनाया था ।
उनकी बेटी है .........जो बहुत बड़ी सेलिब्रिटी है .........मायानगरी में ...
अब आप समझ ही गए होंगें ............।
शादी हुयी नही है अभी तक ........माँ खुश है कि मेरी बेटी को दुनिया जानती है ...............सुन्दर है ..........पर पिता है जो दुःखी है ........बहुत दुःखी है ......शादी कहीं हो नही रही ....... पिता को तनाव के कारण शुगर भी हो गया ।
मै दोनों को लेकर लोंग ड्राइव में गया था ............गोवर्धन ।
क्या दिक्कत है ? क्यों अपनें जीवन को बिगाड़नें में तुले हो .......
मैने कड़े स्वर में बोलना शुरू किया था ।
महाराज जी ! मै बहुत दुःखी हूँ .......और मेरे दुःख का कारण है ....ये मेरी पत्नी ...........पति नें कहा ।
महाराज जी ! मुझे लगता है ........मै मर न जाऊँ ?
पत्नी के आँखों से गंगा जमुना बहनें लगे थे ।
अच्छा बात क्या है ? दोनों लडो मत, बताओ.....कि बात क्या है ?
नही .....ऐसे नही .....बारी बारी से बताओ ............
क्यों की दोनों एक साथ .........टीवी डिबेट की तरह बोलनें लगे थे ।
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बेटी 38 साल की हो गयी ..........अभी तक शादी हुयी नही ।
मुख्य बात यही है ? मैने दोनों की पूरी बात सुनी फिर कहा ।
हाँ ........दोनों नें एक ही स्वर में कहा ।
फिर करवा दो ..............दिक्कत क्या है ?
वो एक बार विजातीय लड़के के साथ प्रेम विवाह कर चुकी है ......वो भी कोर्ट मैरिज ।
फिर ? मैने आगे जानना चाहा ..........फिर क्या इसके कारण ( पत्नी की ओर इंगित करते हुए पति बोला ) वो विवाह भी तलाक तक पहुँच गया ............और तलाक हो भी गया ।
मै सोच में पड़ गया .........आज मै अच्छे झँझट में फंसा था ।
अब क्या सोचा है !.................मैने पूछा उनकी पत्नी से ।
तब पत्नी नें कहा .......एक लड़का है .........बहुत अमीर है .......अरबपति है .............अपनें बाप का इकलौता बेटा है ।
मैने कहा....दिक्कत क्या है ....उसी के साथ शादी करवा दो ।
पति नें कहा ......दिक्कत ये है कि......पति इतना बोल कर चुप हो गया ............पत्नी की ओर इंगित करते हुए बोला .........इससे पूछिये ।
मैने कहा ..........जल्दी बताओ .......मेरे पास इतना समय नही होता ।
पत्नी नें कहा ........दोनों , मेरी बेटी और वो लड़का .......अमेरिका गए थे घूमनें के लिए ...........वहाँ से मेरी बेटी नें उस लड़के से बात करवाई अपनें पिता यानि इनसे ............।
इनको बोलना आता नही है ............लड़के और मेरी बेटी में झगड़ा हो गया ...........मैने बीच में ही बात काटते हुए पूछा ........बात क्या हुयी थी ......बताओ ...........
तब उसका बाप बोला .......महाराज जी ! बेटी से मैने कहा था .......मुझे बात करनी है.........तू मेरी बात करवा देना ....।
बेटी नें मेरी बात करवाई................पिता नें कहा ।
पत्नी बोली .......बताओ ......क्या कहा आपनें .....? महाराज जी को सब बताओ ......अच्छा तू ही बता । पति चुप हो गया इतना बोलकर ।
पत्नी नें कहा........महाराज जी ! देखिये.......उस लड़के से इन्होनें कहा ...........मै बताता हूँ महाराज जी ! सीधे लड़के नें मुझ से बात करनी शुरू कर दी ........न नमस्कार .......न कुछ ।
मैने इतना ही कहा .........बेटे ! बड़ों से बात करते समय पहले नमस्कार करना चाहिये ...............पत्नी बोल पड़ी ..........बताइये ये सब इनको बोलनें की जरूरत थी ........पति बोला .......मैने क्या गलत कहा ।
अच्छा आगे क्या हुआ ? मैने पूछा ।
उस लड़के नें मेरी बेटी को कहा.......तुम्हारे पिता जी प्रेम को समझते ही नही है.........उन्हें फॉर्मेल्टी पसन्द है.......उसनें मेरी बेटी को बहुत कुछ सुनाया । पत्नी नें ये सारी बातें मुझे बताई थी ।
वो पति रो गया .......पर पत्नी चालु ही रही ........सच कहा उसनें प्रेम ही नही है आपके मन में !
पति आँसू पोंछता हुआ बोला ........बताइये महाराज ! मै इतना भी न बोलूँ ......अरे ! भाई मै उसे अपनी बेटी दे रहा हूँ ............।
अब आगे क्या हो रहा है ...........मैने पूछा ।
बेटी कह रही है..........कि उससे ही बात करो ।
पत्नी नें मुझे कहा ।
महाराज जी ! आप बताइये क्या करें हम ।
पति नें और उनकी पत्नी नें बात मेरे ऊपर छोड़ दी थी ।
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आप स्वयं निर्णय क्यों नही लेते .....क्यों बेटी के ऊपर छोड़ देते हैं ।
देखो ! शादी कर दीजिये जितनी जल्दी हो सके ..........और रही बात उस लड़के से शादी करनें की ......तो उस लड़के को छोड़िये .......और प्लीज़ इनको मत कहिये फिर उस लड़के से बात करनें के लिए .....आपके ये पति हैं ........आप इनको निम्न मत करिये ........और अपनी बेटी को भी समझाइये ...........।
कहीं ओर देखिये ....लड़का ...........बहुत हैं लड़के ...........कमी तो लड़कियों की हो रही है .........आप देखिये ........आपके समाज में नही है .....तो किसी ओर समाज में देखिये.......पर जल्दी से अच्छी सी जगह में देख कर विवाह कर दीजिये ।
अभी तो उसका कॅरियर है .....पत्नी नें कहा ।
कॅरियर गया भाड़ में.........देखो ! ये कॅरियर क्या होता है ?
जब तक माँस में चमक है ....जब तक यौवन है .......तब तक ही सब कुछ है ना .....उसके बाद ?
उसके बाद कौन पूछता है ?
इसलिये.... . ....आप ! मैने उसके पति की ओर देखते हुए कहा .....लड़का देखिये ......सारे काम छोड़िये और लड़का देखिये ।
पर हमारा पसन्द का लड़का उसे पसन्द नही आएगा......पत्नी ने कहा ।
मैने कहा ......बेटी आपकी है ........फिर उसको आप प्रेम से समझा नही सकते ? .......उसका दिमाग घुमा नही सकते ? ......उसका भला है इसमें .....ये आपको पता है ना ? फिर उसके दिमाग में डालिये ये सब ।
मैने एक बात ओर कही ........आप लोग अगर ठान लें .......तो हो जाएगा ................रही उस लड़के की बात ......जो अभी अमेरिका होकर आया है .......उसके मनोविज्ञान को समझिए .......वो आपकी बेटी से बोर हो चुका है ............इसलिये उसे छोड़िये .......और हाँ .......अब आप जिस लड़के को देखेंगें उसके साथ ज्यादा घूमनें फिरनें मत देना .......शादी ही कर देना ............जो भी घूमना फिरना है शादी के बाद .....समझे ।
कुछ नही बोले वो दोनों दम्पति .................
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महाराज जी ! आपनें जैसा कहा था .......हमनें वैसा ही किया ।
एक लड़का देख लिया है ........बहुत अच्छा है ...........सुन्दर और पैसे वाला भी है ........जाति विरादरी भी मिलती है ।
नवम्बर में शादी तय हुयी है ..................
कल ही फोन आया था .....................दो महिनें बाद ।
पर आपनें इनको क्या सिखा दिया ये .................
जब से ये वृन्दावन से आये हैं तब से एक ही बात बोलते हैं ...."क्या फर्क पड़ता है"...........मै हँसा ।
आप हँस रहे हैं ?
कल को हमें कुछ हो गया तो हमारे बच्चों का क्या होगा ?
महाराज जी ! मै किसी बात पर ये कहते हुए रो रही थी .....तो ये हँसनें लगे ...और कहनें लगे ............"क्या फर्क पड़ता है" ।
फिर मेरा हाथ पकड़ कर ले गए .........जहाँ हमारे दादा ससुर और परदादा ससुर जी का फोटो था ......उनको दिखाते हुए बोले ........ये भी ऐसे ही सोचते थे........कि हम नही रहेंगें तो हमारे बच्चों का क्या होगा ?
क्या इनके न होनें से कोई फर्क पड़ा ? नही ना ?
आपनें इन्हें क्या सिखा दिया .......कहते हैं ......महाराज जी नें मुझे ये मन्त्र दिया है .....और कहा है ........जब भी तनाव आये ......तब ये मन्त्र दस बार पढ़ लेना ........."क्या फर्क पड़ता है" ।
मै हँसा ................खूब हँसा ..........उनकी पत्नी बोलीं ........आप हँस रहे हैं ......मै आपको कह रही हूँ .....कि पहले ये तनाव में रहते थे ......अब खुश रहते हैं .......कहते हैं ......बच्चों के लिये मर मर कर हम जीयें ....और इन्हें हमारी कोई फ़िक्र नही है .......जब इन्हें फ़िक्र नही है ....तो मुझे क्यों हो ! मै क्यों अपनें जीवन को सुखाउँ !
क्या फर्क पड़ता है !
मै आपको इतना बोल रही हूँ.....बोलिये कुछ तो....उनकी पत्नी नें कहा ।
मैने कहा ......"क्या फर्क पड़ता है" मै खूब हँसा ।
ईमानदारी से कर्तव्य का पालन कीजिये .........पर तनाव को छोड़िये ।
पति नें मुझ से कहा .......... आपनें मेरे जीवन को बदल दिया ।
अब तनाव होता ही नही है ........बेटी की शादी भी तय हो गयी ।
और पहले मै बहुत टेंशन लेता था ............छोटी छोटी बातों में ।
पर अब ........"क्या फर्क पड़ता है" .........बस इस मन्त्र को जीवन में उतार लिया है .......अब तो आनन्द है ।
पत्नी नकारात्मक विचारधारा की हैं उनकी ...........पीछे से आवाज आई ......लड़का ज्यादा ही अच्छा है .........कहीं शादी टूट गयी तो .......?
पति बोला ........"क्या फर्क पड़ता है"...............दूसरा मिल जायेगा ।
मैने कहा ......बहुत अच्छा .....तनाव लेने से समाधान नही मिलता ।
तनाव मुक्त रहना आवश्यक है ।
फोन रख दिया था उन दम्पति नें ।
तो साधकों ! जीवन में कुछ भी हो ......बस यही सोचो ......"क्या फर्क पड़ता है" .......फिर देखिये .......तनाव गायब ।
Harisharan
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