घुंघरू और मोती

🙏🏼🙏🏼हल्की हल्की सर्दी  का मौसम शुरू हो चुका था । आज ना जाने कान्हा की नींद बड़ी जल्दी खुल गई थी। इसलिए वह उठकर निकुंज में आकर एक वृक्ष की डाल पर बैठकर अपनी बांसुरी को निकालकर बजाना शुरू हो गए ।अभी भोर का समय था सभी पशु पक्षी अभी नींद से   अलसा कर उठ रहे थे। और कान्हा ने अपनी बांसुरी की धुन छेड़ दी। सभी पशु-पक्षी गोपियां हैरान हो गए कि आज सुबह-सुबह उठने से पहले ही यह हमारा कैसा सौभाग्य जो हमें कान्हा की बांसुरी की धुन सुनने को मिल गई ।सभी पशु पक्षी और गोपियां भागी भागी निकुंज की तरफ आए और कान्हा की बांसुरी की धुन में मगन हो गए। उधर जब किशोरी  जु ने नींद में ही कान्हा की बांसुरी की धुन सुनी तो उसको लगा कि शायद वह कोई स्वपन देख रही है और वह स्वपन में ही मन्द मन्द मुस्कुरा रही है कि कान्हा तो मेरे रोम रोम में है। उसकी बांसुरी की धुन मुझे अपने अंदर से सुनाई दे रही है। लेकिन जब बांसुरी की धुन लगातार बजती जा रही थी तो गहरी नींद में सोई हुई राधा एकदम से उठी और उसने देखा की बांसुरी की धुन तो बाहर से आ रही है तो एकदम से घबरा गई कि आज सुबह-सुबह कान्हा को क्या हो गया जो इतनी प्यारी बांसुरी की धुन को छेड़ दिया। अब किशोरी जी से रहा नहीं गया तो वह आधी नींद में  थीऔर अभी पूरी तरह से सवेरा भी नहीं हुआ था ।अपने महल से भागी भागी निकुंज की तरफ जाने लगी नींद में होने के कारण और अभी पूरी तरह सवेरा न  होने के कारण किशोरी जी सीधे निकुंज में ना जाकर गांव की तरफ मुड़ गई । अभी वह गांव का आधा ही रास्ता पार कर पाई थी तभी उसे एक घर में एक बहुत ही सुरीला भजन सुनाई दिया।" अब राधे रानी मत जइयो तुम दूर
मेरी लाडो रानी मत जइयो तुम दूर"।
किशोरी जी ने जब यह भजन उस घर से सुना तो हो अचानक से उन के पांव ठिठक गए और वह उस घर की तरफ गई और घर के एक झरोखे से अंदर झांकने लगी तो उसने देखा की एक वृद्ध व्यक्ति किशोरी जी और ठाकुर जी की प्रतिमा को बड़ी ही प्रीत और शरदा से स्नान करवाकर उसमें बहुत सुंदर श्रृंगार कर रहा है और साथ में भजन गाए जा रहा है किशोरी जी को यह देखकर बड़ा आनंद आ रहा था और उस भजन को भी सुन कर बहुत आनंद आ रहा था ।एक तरफ कान्हा की बांसुरी की धुन और दूसरी तरफ इस वृद्ध व्यक्ति का भजन किशोरी जी दोनों तरफ से मग्न थी।
उस व्यक्ति का नाम सुच्चा राम था और वह बड़ी श्रद्धा से किशोरी जी और ठाकुर जी का श्रृंगार कर रहा था ।उसने  श्रृंगार करने में बहुत  समय  लिया और तभी वह उठकर ठाकुर जी के लिए भोग  बनाने गया तो उसने पूरी और खीर का भोग  बनाया और बड़े ही प्यार से ठाकुर जी और किशोरी जी को भोग लगाने लगा। राधा रानी काफी देर से झरोखे से देख रही थी उसके इतने प्रीत भरे और श्रद्धा भरे व्यवहार को देखकर राधा रानी को पता ही नहीं चला कि वह कितनी देर वहां खड़ी रही बहुत देर वहां खड़ा होने के कारण और खीर पुरी की खुशबू से किशोरी जी को भी भूख लग गई । उनका मन भी खीर और पूड़ी खाने को करने लगा। अभी भी वह सुच्चा राम  के  घर के पास खड़ी थी और वह व्यक्ति अभी भी  भजन गा रहा था कि "राधे रानी मत जइयो तुम दूर, मेरी लाडो रानी मत जइयो तुम दूर "।
किशोरी जी उसका यह भजन सुनकर इतनी मग्न हो गई  थी कि वह वास्तव में भी उससे दूर नहीं जा पा रही थी। अब किशोरी जी का मन पुरी और  खीर  पर आ गया था और वह पूरी और खीर  खाना चाहती थी तभी उन्होंने 6 -7 साल की कन्या का रूप लेकर सुच्चा राम के घर का दरवाजा खटखटाया ।उसने दरवाजा खोला और छोटी सी कन्या को देखा और बोला, लाली क्या हुआ, क्या चाहिए तो किशोरी जी ने  प्रार्थना की बाबा आप बहुत  सुन्दर  भजन गा रहे थे इसलिए मैं यहां आप का भजन सुनने के लिए आई हूं ।अपने भजन की तारीफ सुनकर सुच्चा राम बहुत प्रसन्न हुआ और कहा लाली अंदर आओ लाडली अंदर  आ गई किशोरी जू ने कहा,बाबा कि आप किसको ना जाने के लिए कह रहे हो ।तो बाबा ने कहा यह मैं अपनी लाडो  किशोरी जी का भजन गा रहा हूं  कि  अगर कभी वो मेरे पास आई तो मैं उसको कहूंगा कि आप मुझे छोड़कर मत जाना। राधा रानी  का मन तो अबभी  खीर पूरी पर था तो उन्होंने कहा कि बाबा आप मान लो अगर किशोरी जू यहां आ जाए तो आप उसका स्वागत कैसे करोगे। इतना सुनकर बाबा  भाव विभोर हो उठा और एकदम से राधा रानी को उठाकर अपनी गोद में बिठा लिया और वह अपनी धुन में बोलने लगा कि मैं ऐसे ही जैसे तुमको अपनी गोद में बिठाया है उसको अपनी गोद में बिठा कर अपने हाथ से बनी   खीर पूरी खिलाऊंगा और साथ साथ में वह गोद में बैठी राधा रानी को खीर पूरी खिला रहे हैं और आंखों में आंसू बहते जा रहे हैं और कहते जा रहे हैं कि मैं एक एक कोर उनके मुंह में डालूंगा और उसको निहारता जाऊंगा और वह वास्तव में  गोद में बैठी किशोरी जी को निहार रहा है तब राधा रानी ने कहा की यह राधा रानी के साथ आपने तो लाल जू की प्रतिमा को रखा हुआ है केवल राधा रानी को ही खीर पूरी खिलाओगे कान्हा को नहीं खिलाओगे ।सुच्चा राम ने कहा ,अरे ओ भोली लाली जिस जगह पर राधा रानी मेरी लाडली जू आ जाए उस जगह पर तो कान्हा अपने आप ही दौड़े चले आते हैं। और हुआ भी ऐसे ही उधर जब बहुत समय कान्हा को बांसुरी बजाते हो गए सब पशु पक्षी और सखियां मंत्रमुग्ध होकर एकटक ठाकुर जी को निहार रही थी ।अब ठाकुर जी भी थक चुके थे लेकिन जब उन्होंने देखा कि मेरी प्रिय राधिका नहीं आई तो वह व्याकुल हो उठे और अपनी किशोरी जी को ढूंढने के लिए निकल पड़े वह भी गांव की तरह निकले। तभी उनको राधा रानी के खिलखिलाने की आवाज सुनाई दी तो वह हैरान हो गए मेरी प्रिया यहां क्या कर रही है ।जब झरोखे से उन्होंने अंदर झाँककर देखा तो उन्होंने देखा कि सुच्चा राम की गोदी में बैठकर राधा रानी बड़े मजे से खीर पूरी खा रही है अब ठाकुर जी को ध्यान आया कि वह भी बहुत सुबह से उठे हुए हैं और उनको भूख लग चुकी थी उनका मन भी खीर  पुरी खाने को करने लगा ।तभी उन्होंने भी सुच्चा राम का दरवाजा खटखटाया लेकिन दरवाजा खुला हुआ था तो सुच्चा राम ने कहा जो भी है अंदर आ जाओ। क्योंकि राधा रानी उनकी गोद में बैठी हुई थी तभी कान्हा जो कि अंदर आ गए और कहा लाडली तुम यहां क्या कर रही हो तो राधारानी मंद मंद मुस्कुरा कर कान्हा की तरफ देखती हुई बोली बाबा की खीर पूरी खा रही हूं अरे तुम भी खा लो। राधा रानी ने बाबा को कहा कि बाबा यह मेरा बहुत प्रिय सखा है हम दोनों सुबह इकट्ठे ही खेलते हैं क्या आप इसको भी  खीर  पूरी खिलाओगे। बाबा को कोई होश न  थी वह तो यही सोच रहा था कि राधा रानी मेरी गोद में है और मैं उसको खीर  पूरी खिला रहा हूं तो उसमें कान्हा  को भी पकड़ कर अपनी गोद में बिठा लिया उसको लग रहा था कि जैसे कृष्ण और राधा की मेरी गोद में है और वह उनको  खीर  पूरी खिला रहा है और वह एक एक कोर दोनों को खिलाता उन दोनो  को खिलाते  खिलाते उसके हाथ  इतने कांप  रहे थे  कि आधी  खीर  पूरी  नीचे गिरती जाती है पर बाबा आंखों में आंसू बहाता जाता और  साथ साथ में गाए जा रहा था ।"अब राधा रानी मत जइयो  तुम दूर ।ओ लाडो रानी मत जइयो तुम दूर ।"राधा रानी  सुच्चाराम से बोली, अरे ओ भोले बाबा  अगर वास्तव में तुम्हारे सामने राधा रानी आ जाए अगर तुम उसको बार-बार यह कहोगे तो हो इतनी करुणामई है वह तो वापस नहीं जाएगी लेकिन बाकी भक्तों का क्या होगा  लाडली के  माता-पिता का क्या होगा  ,अगर  तुम उसको अपने पास रख लोगे ।यह सुनकर एकदम से सुच्चाराम हैरान हो गया और कहने लगा हां हां कह तो तुम ठीक ही रही हो लाली।लेकिन मेरा ऐसा सौभाग्य कहा जो लाडली जू मेरे पास आए मेरे कान्हा मेरे पास आए। अगर वह कभी मेरे पास आ भी गए अगर वह अपने पांव  की धूल का एक कण भी यहां छोड़ जाएंगे तो मैं उसको ही किशोरी जू समझ कर हमेशा अपने दिल से लगा कर रखूंगा ।और उस कण को लेकर ही मैं बोलता रहूंगा कि" अब राधा रानी मत जइयो तुम दूर मेरे कान्हा प्यारे मत जइयो तुम दूर" लाडली जू और  ठाकुर जी एक दूसरे  की तरफ देखकर मंद मंद मुस्कुराए ।और अब उनका खीर पूरी खा कर पेट भर चुका था ।और कहने लगे अच्छा बाबा अब हमें थोड़ा सा पानी ही पिला दो। और जब बाबा पानी  लेने उठे और  जब पीछे मुड़े तो किशोरी जी ठाकुर जी दोनों गायब हो चुके थे ।सुच्चा राम हैरान हो गया कि दरवाजा तो बंद है लेकिन यह दोनों कहां गए तभी उसका ध्यान जमीन पर बिछी चटाई पर गया और वहां उसने देखा  कि किशोरी जी के पांव की पायल का एक  घूंघरू और ठाकुर जी की माला का एक  मोती वहां  पड़ा हुआ है और उसमें बहुत ही अच्छी सुगंध आ रही है। सुच्चा राम एकदम से स्तब्ध  हो गया और उसको जैसे अंदर  से  अंदेशा हो गया कि  कहीं यह ठाकुर जी और किशोरी जू तो यहां  नहीआए थे और मेरी गोद में बैठकर खीर पूरी खा गए। और निशानी के तौर पर अपनी पायल का घुंघरू और गले का मोती यहां छोड़ गए हैं। वह तो एकदम पागल सा हो गया वह उस जगह को चूमने चाटने लगा जहां पर किशोरी जू और ठाकुर जी उसकी गोद में बैठे थे ठाकुर जी और किशोरी जी  को खिलाते समय खीर पुरी का प्रसाद जो नीचे गिरता जाता  था उसको अपने मुख से  चाटे जा रहा था साथ में बहते हुए आंसू भी उस गिरे हुए खीर  पूरी के साथ उसके अंदर जाए जा रहे थे ।वह बावंला सा हो गया ।और  उसने उस पायल के घुंघरू और मोती को पकड़ कर अपने ह्रदय  से लगा लिया और उसको ऐसे ही लगा जैसे किशोरी जी और ठाकुर जी उसकी सीने के साथ लगे हुए हैं अब तो उसका रोज का नियम हो गया कि एक जांघ  पर वह किशोरी जी की पायल के घुंघरू को रखता और दूसरी जांघ पर ठाकुर जी के गले की माला के मोती को रखता और रोज नए-नए पकवान बनाकर उनको ऐसे खिलाता कि वह पायल का घुंघरू ना होकर किशोरी जू हो और मोती ना होकर ठाकुर जी हो।
सुच्चा राम को ऐसे लगता कि जैसे कि वह दोनों उसको छोड़कर कहीं नहीं गए। सुच्चा राम की सच्ची सुच्ची भक्ति के कारण ही ठाकुर जी और  किशोरी जी का प्रेम उसको प्राप्त हुआ और वह घुंघरू और मोती के रूप में हमेशा उनके पास रहे ।इसलिए हमें भी सुच्चा राम की तरह ठाकुर जी और किशोरी जी  की सच्ची भक्ति करनी चाहिए ना कि दिखावे की भक्ति।
बोलो करूणा  अवतार  ठाकुर जी और किशोरी जी की जय हो।
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