एक ऐसे ही भक्त की कथा है जिसे भगवान श्री कृष्ण ने दर्शन दिए और जाते-जाते छोड़ गए शरीर पर शंख और चक्र के निशान।

जय श्री राधे !

कहते हैं भक्ति सच्ची हो तो ईश्वर को भक्त के सामने आना ही पड़ता है और ईश्वर के जिसे दर्शन हो जाएं उसे कुछ न कुछ देकर ही जाते हैं।

यह एक ऐसे ही भक्त की कथा है जिसे भगवान श्री कृष्ण ने दर्शन दिए और जाते-जाते छोड़ गए शरीर पर शंख और चक्र के निशान।
यह कथा है आमेर नरेश श्री पृथ्वीराज जी स्वामी की।

एक बार इनके गुरु पयोहारी जी द्वारिका जी यात्रा पर जाने लगे तो पृथ्वीराज भी द्वारिका जाने की तैयारी करने लगे। इन्होंने कहा कि द्वारिका जाकर शरीर पर शंख चक्र बनवाउंगा।
गुरु पयोहारी जी ने कहा कि अगर तुम राज्य छोड़कर चले जाओगे तो राज्य में अव्यवस्था फैल जाएगी। धर्म-कर्म से लोगों का ध्यान हट जाएगा। इसलिए आमेर में रहकर ही कृष्ण की भक्ति करो।
गुरु की बात मानकर श्रीपृथ्वीराज जी आमेर में ही रह गए लेकिन इनका ध्यान द्वारकाधीश में ही लगा रहा। रात में जब यह सोए हुए थे तब इन्हें लगा कि अचानक तेज प्रकाश फैल गया है और भगवान श्री द्वारकाधीश स्वयं प्रकट हो गए हैं।
राजा श्री पृथ्वीराज जी ने द्वारकाधीश जी की परिक्रमा की और प्रणाम किया। भगवन ने कहा कि तुम अब गोमती संगम में डूबकी लगाओ। राजा को लगा कि वह गोमती तट पर पहुंच गए हैं और गोमती में डूबकी लगा रहे हैं।
सुबह जब राजा महल से बाहर नहीं निकले तो रानी उनके शयन कक्ष में पहुंची। रानी ने देखा राजा सोए हुए हैं और उनका पूरा शरीर भींगा हुआ है जैसे स्नान करके आए हों। रानी ने देखा कि राजा के बाजू पर शंख और चक्र के निशान उभर आए हैं।
राजा की नींद खुली तो वह भी इस चमत्कार को देखकर हैरान थे। उन्हें लगा कि भगवान स्वयं उनकी इच्छा पूरी करने के लिए आए थे। इसके बाद राजा पूरी तरह से कृष्ण भक्ति में लीन हो गए।
🙏जय श्री राधे 🙏

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