(((( विट्ठल विट्ठल विट्ठला ))))


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सुंदर नगर के राजा और रानी जो कि बहुत ही ठाकुर जी और किशोरी भक्त होते हैं।
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उनके घर एक बहुत ही सुंदर गौर वर्ण वाली बेटी का जन्म होता है।
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राजा और रानी बेटी को किशोरी जी का प्रसाद मानकर बड़े लाड प्यार से बड़ा करते हैं।
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जब बेटी 2 साल की हो जाती है तो राजा अपने महल के पास बने बड़े मंदिर में एक भव्य आयोजन करते हैं।
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दूर-दूर से बहुत से साधु महात्मा लोगों को अपनी बेटी को आशीर्वाद देने के लिए बुलाया जाता है।
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बड़ी धूमधाम से आयोजन संपन्न होता है, सभी को बड़ी श्रद्धा से ठाकुर जी का प्रसाद खिलाया जाता है।
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राजा रानी सब महात्मा लोगों का आशीर्वाद ले रहे होते हैं। तभी उनकी बेटी जो कि 2 साल की है एक महात्मा जी के पीछे पीछे चल पड़ती है।
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महात्मा को नहीं पता होता कि लड़की उनके पीछे पीछे आ रही है, जब महात्मा जंगल के पास पहुंचते हैं तो उनका ध्यान पीछे पड़ता है,
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पीछे किसी छोटी लड़की को देखकर वह हैरान हो जाते हैं। वह उसको पूछते तुम कौन हो ?
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छोटी बच्ची क्या बोले वह राजकुमारी को नहीं जानते थे। क्योंकि मंदिर में बहुत भीड़ होने के कारण हर एक को राजकुमारी के दर्शन नहीं होते।
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महात्मा हैरान होकर इधर-उधर देखते है वहां आसपास कोई नहीं होता वह थोड़ी आगे जाकर कुछ लोगों से पूछते है।
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कोई भी उस लड़की के बारे में नहीं जानता, महात्मा अकेला जंगल में उस लड़की को छोड़ना भी उचित नहीं समझते।
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लड़की एकदम से महात्मा की उंगली पकड़ लेती है, महात्मा पांडू नगर ले जाते हैं जहां से आए होते हैं
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वह पांडू नगर में विट्ठल भगवान के मंदिर के पास के कुटिया बनाकर रहते हैं। और विट्ठल भगवान के बहुत बड़े भक्त होते हैं।
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उधर राजकुमारी के गुम हो जाने से राजा रानी का रो रो कर बुरा हाल हो जाता है।
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रानी को बेटी के वियोग में बार-बार मूर्छित हो जाती हैं। वह किशोरी जी और ठाकुर जी के आगे बहुत प्रार्थना करती है कि उनकी बेटी हमें वापस मिला दो।
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बेटी के गुम होने से उसके वियोग में रानी बहुत बीमार रहने लग पड़ती है।
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एक दिन वह किशोरी जू के बरसाना धाम में जाती है अपने आंसुओं से किशोरी जी की सीढ़ियों को धोते हुए उसके दरबार पहुँचती है।
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और वहां किशोरी जू के सामने बड़ी दयामई दृष्टि से आंखों में आंसू की धारा बहाती हुई अपनी बेटी को वापस पाने के लिए किशोरी जी से प्रार्थना करती है और कहती है..
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कर दो शमा किशोरी अपराध मेरे सारे बड़ी आस ले के आई दरबार में तुम्हारे..
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वह बस यही गुणगान करती हुई और आंसू से किशोरी जी की चौखट को गीला करती रहती हैं।
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लेकिन उसकी बेटी का तो कहीं और पालन-पोषण उसके भाग्य में लिखा था।
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परंतु कुछ महीनों बाद किशोरी जी और ठाकुर जी की कृपा से रानी के घर एक सुंदर राजकुमार पैदा होता है।
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बेटे के आने से रानी का ध्यान इधर उधर हो जाता है। परंतु बेटी को वह भूल नहीं पाती।
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उसका गम तो घुन की तरह उसके शरीर को लग जाता है।
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उधर राजकुमारी महात्मा के  साथ रहकर हर रोज विट्ठल भगवान् के मंदिर जाती हैं।
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अब तो विट्ठल भगवान् की शरण में ही रहती है। और वह विट्ठल भगवान् का गुणगान करती हैं।
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उसके भजन और गुणगान को सुनने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
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राजकुमार जो कि अब काफी बड़ा हो जाता है अपनी बीमार मां को और राजकुमारी का वियोग देख कर बहुत दुखी रहता है।
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वह हर रोज ठाकुर जी और किशोरी जी के आगे अपनी मां को ठीक करने की प्रार्थना करता है।
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एक दिन वह सुंदर नगर से पांडु नगर किसी काम से जाता है वहां पर शाम को अपने रथ पर सवार होकर मंदिर के आगे से गुजरता है।
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वहां उसको बड़ी ही सुरीली आवाज में कोई गुणगान करता सुनाई देता है
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विट्ठल विठ्ठल विटठला
माझा विट्ठल  विट्ठला
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वह इतना आकर्षित होता है, सोचता है कि कौन कितना सुंदर गायन कर रहा है और यह किस देवता का भजन है।
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यही सोचते सोचते रथ से उतरकर मंदिर की तरफ जाता है।
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परंतु तब तक गायन समाप्त हो जाता है। और जो गायन गाने वाली थी वह भी चली जाती है।
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राजकुमार लोगों से पूछता है कि यह कौन गा रहा था..
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लोग कहते हैं कि विट्ठल भगवान् की एक दासी है जो हर रोज विट्ठल भगवान् का बड़ी श्रद्धा से गुणगान करती है।
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राजकुमार वह गायन सुनने के लिए इतना बेचैन हो जाता है कि वह पांडू नगर में ही रुक जाता है।
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सुबह जब वह फिर उस मंदिर में जाता है तो फिर वही मधुर गान..
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विट्ठल विट्ठल विट्ठला
माझा विट्ठला विट्ठला
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का गुणगान हो रहा होता है। राजकुमार वहां जाकर देवी के चरणों में गिर पड़ता है और कहता है कि देवी तुम किसका गायन कर रही हो।
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वह लड़की देखती है कि उसके पैरों में कोई राजकुमार सा बांका नौजवान पढ़ा हुआ है
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उसको कहती है कि उठो यह विट्ठल भगवान् है, यहां जो भी एक बार आता है तो उसको खाली हाथ नहीं भेजते वह सबकी झोलियां भरते हैं।
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राजकुमार कहता है कि क्या सच में ? क्या यह मेरी भी इच्छा पूरी करेंगे ?
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वह लड़की कहती है क्यों नहीं एक बार मांग के तो देखो।
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वह राजकुमार जब सामने देखता है तो एक सावंले रंग के बाँके नौजवान कमर पर हाथ रखकर मंद मंद मुस्कुरा रहे होते हैं।
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राजकुमार उनके पैरों में गिर कर प्रार्थना करता है कि, हे विट्ठल भगवान् मेरी मां की बीमारी को ठीक कर दो, और मेरी खोई हुई बहन को मिला दो।
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तभी विट्ठल भगवान् के गले से माला गिरकर राजकुमार के गले में पड़ जाती है..
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वह लड़की राजकुमार को कहती है कि तुम्हारे पर तो विट्ठल भगवान् की कृपा हो गई जो माला परसादी तुम्हें मिल गई।
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राजकुमार प्रसन्न मन से विट्ठल भगवान् को प्रणाम करके सुंदर नगर वापस चला जाता है।
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वहां जाकर उसको विट्ठल भगवान् के नाम की ऐसी लगन लगती है कि सारा दिन विट्ठल भगवान् का गुणगान करता रहता है।
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राजा राजकुमार से पूछता है कि यह किसका गुणगान कर रहे हो। राजकुमार उनको सारी बात बताता है।
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एक दिन राजा फिर सुंदर नगर के मंदिर में एक भव्य आयोजन करता है और दूर-दूर से साधु महात्मा लोगों को बुलाता है।
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राजकुमार राजा से कहता है कि क्या मैं पांडू नगर में रहने वाली उस देवी को भी बुला लूं।
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राजा कहता है क्यों नहीं.. राजकुमार मंत्री के हाथों लड़की को आने का न्योता देते हैं।
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वह लड़की आने के लिए मान जाती हैं।
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तभी उस लड़की को महात्मा कहते हैं की बेटी तुम अकेले ना जाओ मैं तुम्हारे साथ चलूंगा मैं काफी साल पहले वहां गया हूं
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महात्मा और लड़की वहां जाकर मंदिर में विट्ठल भगवान का गुणगान करते हैं।
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सभी आए हुए लोग आनंद के साथ झूमते गाते हैं.. राजा रानी और राजकुमार भी खूब विट्ठल नाम का आनंद लेते हैं।
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सभी लोग उस लड़की के रूप की तथा उसकी सुरीली आवाज की बहुत तारीफ करते हैं।
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जब गायन संपन्न हो जाता है तो राजा महात्मा जी के पास आकर कहता है कि आपकी बेटी का स्वरूप पूर्ण रूप से किशोरी मयी है।
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और आवाज में सरस्वती का निवास है।
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महात्मा हाथ जोड़कर बड़ी विनम्रता से कहते हैं कि हे राजन, यह मेरी बेटी नहीं है..
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काफी साल पहले जब एक बार इसी मंदिर में एक अयोजन था तब मैं पांडू नगर से यहां आया था..
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तभी करीब 2 साल की एक लड़की मेरे पीछे पीछे आ गई इसके बारे में पता किया उसके माता-पिता का पता ना चला।
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विट्ठल भगवान् की यही इच्छा थी, तभी से यह विट्ठल भगवान् की शरण में है।
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यह बात सुनकर राजा और राजकुमार एकदम से हैरान हो जाते हैं और राजा कहता है कि यह तो हमारी खोई हुई राजकुमारी है।
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रानी अपनी बेटी को पाकर बहुत प्रसन्न होती है, विट्ठल भगवान् की कृपा से जो कि ठाकुर जी का ही दूसरा रूप है सब मिल जाते हैं।
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और वह सब मिलकर कर विट्ठल भगवान् की जय जयकार करते हैं।
बोलो  विट्ठल भगवान की जय हो

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((((((( जय जय श्री राधे )))))))
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