★■★ईश्वर की कृपा★■★


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किसी गाँव में दो साधू रहते थे। वे दिन भर भीख मांगते और मंदिर में पूजा करते थे। एक दिन गाँव में आंधी आ गयी और बहुत जोरों की बारिश होने लगी; दोनों साधू गाँव की सीमा से लगी एक झोपडी में निवास करते थे, शाम को जब दोनों वापस पहुंचे तो देखा कि आंधी-तूफ़ान के कारण उनकी आधी झोपडी टूट गई है।

यह देखकर पहला साधू क्रोधित हो उठता है और बुदबुदाने लगता है.... ”भगवान!! तू मेरे साथ हमेशा ही गलत करता है… में दिन भर तेरा नाम लेता हूँ, मंदिर में तेरी पूजा करता हूँ फिर भी तूने मेरी झोपडी तोड़ दी… गाँव में चोर – लुटेरे झूठे लोगो के तो मकानों को कुछ नहीं हुआ, बिचारे हम साधुओं की झोपडी ही तूने तोड़ दी ये तेरा ही काम है… हम तेरा नाम जपते हैं पर तू हमसे प्रेम नहीं करता….।”

तभी दूसरा साधू आता है और झोपडी को देखकर खुश हो जाता है नाचने लगता है और कहता है... “भगवान्!! आज विश्वास हो गया तू हमसे कितना प्रेम करता है ये हमारी आधी झोपडी तूने ही बचाई होगी वर्ना इतनी तेज आंधी – तूफ़ान में तो पूरी झोपडी ही उड़ जाती ये तेरी ही कृपा है कि अभी भी हमारे पास सर ढंकने को जगह है…। निश्चित ही ये मेरी पूजा का फल है, कल से मैं तेरी और पूजा करूँगा, मेरा तुझपर विश्वास अब और भी बढ़ गया है… तेरी जय हो!"
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मित्रों! एक ही घटना को एक ही जैसे दो लोगों ने कितने अलग-अलग ढंग से देखा… हमारी सोच हमारा भविष्य तय करती है, हमारी दुनिया तभी बदलेगी जब हमारी सोच बदलेगी। यदि हमारी सोच पहले वाले साधू की तरह होगी तो हमें हर चीज में कमी ही नजर आएगी और अगर दूसरे साधू की तरह होगी तो हमे हर चीज में अच्छाई दिखेगी।

अतः हमें दूसरे साधू की तरह विकट से विकट परिस्थिति में भी अपनी सोच सकारात्मक बनाये रखनी चाहिए।

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