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*राम जी के अनुसार जो व्यक्ति अपने जीवन में संयम से रहता है उस व्यक्ति को कभी भी हार का सामना नहीं करना पड़ता है !*

*और उसका जीवन शांति के साथ कट जाता है। आलोचना व कठोर शब्दों के आगे संयम नहीं खोना चाहिए धैर्य धारण करना चाहिए !*

*रामचरितमानस के लंका कांड के अनुसार एक बार मेघनाद युद्ध करते करते राम जी के प्रति काफी कठोर शब्दों का प्रयोग करने लगा !*

*मेघनाद ने राम जी के पास जाकर उनको कटुवचन कहें रावण के बेटे मेघनाद के मुंह से निकल रहे हर कठोर शब्दों को राम जी शांति के साथ सुनते रहें !*

*उन्होंने मेघनाद की किसी भी बात का जवाब नहीं दिया। राम जी की और से किसी भी तरह की प्रतिक्रिया ना आने पर मेघनाद को और गुस्सा आने लगा और वो क्रोधित होकर और अपशब्द कहने लगा !*

*मेघनाद को लगा की वो राम जी को भी क्रोधित कर देगा और उनके संयम को नष्ट कर देंगा। लेकिन मेघनाद ऐसा करने में असफल हुआ !*

*राम जी उसकी बातें धैर्य के साथ सुनते रहें और मुस्कुराते रहे। राम जी के धैर्य को तोड़ने में नाकाम रहने पर मेघनाद को काफी लज्जा आने लगी !*

*इस तरह से राम जी ने अपने धैर्य और संयम के बल पर मेघदान को बिना कुछ कहे हरा दिया !*

*मेघनाद और श्रीराम से जुड़ी इस घटना का वर्णन तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में कुछ इस प्रकार से किया है -*

*रघुपति निकट गयउ घननादा।*
*नाना भाँति करेसि दुर्बादा।।*

*अस्त्र सस्त्र आयुध सब डारे।*
*कौतुकहीं प्रभु काटि निवारे।।*

*मेघनाद श्री राम के पास गया और उसने अनेकों प्रकार के दुर्वचनों का प्रयोग किया। उसने उन पर अस्त्र-शस्त्र तथा और सब हथियार चलाए। प्रभु ने खेल में ही सबको काटकर अलग कर दिया !*

*देखि प्रताप मूढ़ खिसिआना।*
*करै लाग माया बिधि नाना॥*

*जिमि कोउ करै गरुड़ सैं खेला।*
*डरपावै गहि स्वल्प सपेला॥*

*श्री रामजी का संयम देखकर वह मूर्ख लज्जित हो गया और अनेकों प्रकार की माया करने लगा। जैसे कोई व्यक्ति छोटा सा सांप का बच्चा हाथ में लेकर गरुड़ को डरावे और उससे खेल करे !*

*धैर्य के सामने अपशब्द व आलोचना पराजित हो जाते है बिना कुछ बोले विजय हासिल की जा सकती है !!*

*जय सियाराम  🚩*

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