एक बार एक महात्मा के पास एक आदमी आया और बोला "महाराज ! बुरा ना माने तो एक बात कहें"? महात्मा बोले "कहो हम किसी बात का बुरा नहीं मानेंगे निसंकोच कहो।" तो वह आदमी बोला "महाराज ! यह तुम्हारा भगवान किसी को तो कुछ भी नहीं देता, उसे खाने और रहने की चिंता रहती है; और किसी को इतना दे देता है कि उस पर खाने वाले नहीं होते। देना ही है तो सबको बराबर देना चाहिए। इसलिए हमें तो यही लगता है कि आपके भगवान ने अकल कुछ कम है।"
महात्मा बोले अहो भाग्य हमारे जो तुम्हारा दर्शन हुआ कम से कम भगवान की अकल की बात करने वाला कोई तो मिला कि भगवान में अकल कम है। महात्मा बोले हम तो यह मानते हैं कि भगवान में अक्ल है ही नहीं। आज हमें प्रसन्नता इसलिए हुई कि तुमने बताया तो सही कम ही सही पर है तो।
वह आदमी बोला की महाराज हम लोग तो संसारी हैं अगर हम कहें तो बात समझ में आती है पर आप तो संत हो महात्मा हो आप महात्मा होकर भी कह रहे हो कि भगवान में अक्ल है ही नहीं। तो महात्मा हँसते हुए बोले हम इसलिए कह रहे हैं यदि भगवान में थोड़ी बहुत अक्ल होती तो तुम जैसे कमअक्ल पैदा ही क्यों करता ? तुम्हारी समझ में इतनी सी बात नहीं आती कि जब पूर्व में किये गए कर्म अनुसार ही फल मिलता है तो जिसने जैसा किया वैसा पाया ?
"जय जय श्री राधे"
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