समर्थ गुरु


आज से काफी समय पहले संत रामदास अपने एक युवा शिष्य के साथ काशी पधारे थे.
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स्वामी जी अपने शिष्य के साथ एक मंदिर में रुके थे.
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वो प्रतिदिन अपने शिष्य को भिक्षा लाने के लिए शहर की गलियों में भेजते थे और भिक्षा से प्राप्त अन्न के द्वारा एक समय भोजन ग्रहण करते थे.
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एक दिन उनका युवा शिष्य भिक्षा लेने के लिए बहुत प्रसिद्द ज्योतिषाचार्य गंगाभट्ट के घर पहुंचा,
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जिनके बारे में प्रसिद्द था कि वे सिद्धि प्राप्त त्रिकालदर्शी ज्योतिषी ब्राह्मण हैं और उनकी कोई भी भविष्यवाणी गलत नहीं होती है.
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अपने घर के द्वार पर संत रामदास के युवा शिष्य को देखकर गंगाभट्ट बोले-कौन है आप..
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शिष्य बोला-महाराज.. मैं संत रामदास का शिष्य हूँ और स्वामीजी के साथ एक मंदिर में ठहरा हुआ हूँ..
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उनके आदेश पर मैं भिक्षा मांगने के लिए निकला हूँ.. आपके द्वार पर मैं इसी उद्देश्य से आया हूँ..
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गंगाभट्ट घर के अंदर गए और अन्न रूपी भिक्षा उसे देते हुए बोले- ये मेरा सौभाग्य है कि आप हमारे द्वार पधारे हैं.. और संत रामदास जी की सेवा का अवसर मुझे भी मिल रहा है..
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शिष्य भिक्षा लेकर जाने लगा तो गंगाभट्ट बोले- महात्मा जी.. आपके माथे की रेखाएं बता रही हैं कि सिर पर चोट लगने से आज शाम को चार बजे आपकी मृत्यु हो जाएगी..
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मेरी भविष्यवाणी आज तक कभी गलत हुई है..
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यह सुनते ही युवा शिष्य भयभीत हो उठा. वो अपने गुरुदेव स्वामी रामदास के पास गया और उन्हें सारी बात बताई.
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स्वामी रामदास जी बोले- चिंता मत करो.. भगवान राम के पावन नाम का चिंतन करो.. और किसी वृद्ध की चरण सेवा में लग जाओ..
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काल आकर भी वापस लौट जायेगा..
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शिष्य ने ऐसा ही किया. शाम को चार बजे तेज आंधी से मंदिर का शिखर गिर गया और वो शिष्य सिर पर भयंकर चोट लगने से बाल बाल बच गया.
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मृत्यु का समय बीत गया. वो रामनाम का जप व वृद्ध की सेवा के बल से मृत्यु से बच गया.
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अगले दिन वो शिष्य पुन: गंगाभट्ट के यहाँ भिक्षा मांगने गया तो उसे जीवित देख ज्योतिषाचार्य गंगाभट्ट हैरान रह गए.
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उस शिष्य से सारी बात जान वो उस शिष्य के साथ स्वामी रामदास जी के पास पहुंचे और हाथ जोड़कर प्रणाम करते हुए बोले-
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महाराज.. आप महान संत हैं.. आप अपने शिष्य के ऊपर आये काल को भी हटाने में समर्थ हैं..
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अत: आज से आपके नाम के साथ समर्थ गुरु की पदवी लगाई जाएगी..
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उस दिन से वो संत रामदास समर्थ गुरु रामदास हो गए. वो छत्रपति शिवाजी महाराज के भी गुरु बने.
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छत्रपति शिवाजी महाराज ने गुरु से प्राप्त आध्यात्मिक बल से इतिहास रच दिया था.

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((((((( जय जय श्री राधे )))))))
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