🌸 *"मानसी गंगा लीला"* 🌸

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          एक बार *राधारानी* जी अपनी सखियों के साथ माखन लेकर मानसी गंगा के तट पर आईं। मानसी गंगा में बहुत पानी है। सोचने लगीं कैसे पार करेंगी मानसी गंगा को। तभी *श्री कृष्ण*  नाविक का भेष बदलकर आ गए और बोले नाव से पार करा देता हूँ। गोपियो ने कहा, बहुत भला नाविक है सभी सखियाँ और  *राधारानी* नाव में बैठ गये। *श्री कृष्ण*  मन ही मन सोचने लगे आज आनन्द आएगा।
               *श्री कृष्ण* ने नाव चलना आरम्भ किया। थोड़ी देर बाद *श्री कृष्ण*  बोले मुझ भूख लग रही कुछ खिलाओ नहीं तो मैं नाव नहीं चला पाऊँगा, सब डूब जाओगी। सखियों ने अपना सब माखन *श्री कृष्ण*  को दे दिया, कृष्ण सब खा गये। फिर नाव चलना शुरु किया, थोड़ी देर बाद बोले मैं थक गया हूँ, मेरे पैर दबाओ तभी नाव चला पाऊँगा। सखियाँ पैर दबाने लगीं बहुत सेवा की, जब नाव बीच में पहुँची, तो *श्री कृष्ण*  ने नाव जोर से हिला दी। सब डर गयीं, कृष्ण बोले मेरी नाव पुरानी है बजन ज्यादा है, डूब जायेगी, अपनी मटकी मानसी गंगा में फेंक दो जल्दी-जल्दी, गोपियों ने अपनी मटकियाँ मानसी गंगा में डाल दीं। कृष्ण फिर बोले अभी भी नाव हिल रही है, डूब जायेगी, अपने गहने भी फेंक दो,नहीं तो डूब जाओगी। सबने अपने बहुमूल्य गहने भी मानसी गंगा में फेंक दिए। फिर ठाकुर जी ने नाव चलायी।
          ललिता जी को उनके वस्त्रों में मुरली दिख गयी, ललिता जी बोलीं अच्छा *श्यामसुन्दर* हैं ये नाविक ! अभी बताते हैं इस नाविक को। जैसे ही किनारा आया सभी सखियाँ उतार गयीं। सब ने बोला अपनी उतराई तो लेते जाओ नाविक। सबने पकड़ कर श्यामसुंदर को मानसी गंगा में फेंक दिया। बहुत हमारे गहने, माखन मटकी, मानसी गंगा में डलवा कर खुश हो रहे थे। अब ये लो उसका प्रसाद।
                    
*कान्हा की लीला कान्हा ही जाने...*🙌🏼💐
*जय जय श्री राधे....*🌸💐👏🏼राधेराधे

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