वृन्दावन का रहस्य

एक बार एक बंगाली व्यक्ति घर से परेशान हो गया,उन्होंने सोचा कि लोग कहते है ,कि कृष्ण भगवान की भक्ति करने से जीवन सफल हो
जाता है,

उसने निर्णय लिया कि मैं वृन्दावन जा के वहाँ ध्यान करूँगा,और वो वृन्दावन आ गए उन्होंने 20 वर्ष तपस्या की, लेकिन कन्हैया राधा का दर्शन नही हो पाया, आखिर वो थक गया और पुन: विचार किया कि चलो कान्हा तो मिलेंगे नहीं अपने गांव चलते है, वहां चावल तो खाएंगे

(बंगाली वैसे भी चावल के शौकीन होता है)
वो अपना सामान ले के पैदल चल पड़ा, क्योंकि किराया था नही पास, जैसे ही वृन्दावन से रवाना हुआ तो रास्ते मे एक अति शौभनीय महल दिखाई दिया,

वहां एक कन्या खड़ी थी उस कन्या ने उस वृद्ध बाबा को बोला बाबा यहाँ हमने आज हवन रखा है तो आप हमारे यहाँ  भोजन करे,बाबा वैसे भी भूखा था चलो कन्या ने बोल दिया तो भोजन कर ही लेते है,

बाबा महल में गए और उस कन्या ने आसन लगा दिया भोजन रख दिया बाबा बैठ गए, और भोजन करने लगे कन्या पास खड़ी थी, तो बाबा ने उस कन्या को देखा तो परछाईं के रूप में कभी राधा का दर्शन तो कभी कान्हा का दर्शन तो बाबा सोच में पड़ गए कि क्या है ये,

फिर सोचा कि आँखे कमजोर है इसलिए हो रहा है, जैसे ही भोजन किया कन्या ने बोला बाबा अब में जाऊ आप प्रस्थान करो बाबा बोले ठीक है बेटा जाओ ,कन्या वहां से गायब फिर देखा तो वहां न तो महल था,

और ना ही वहाँ आसन था जिस पर बाबा बैठे थे, तब उस बाबा को यकीन हुआ कि भगवान तो है लेकिन परीक्षा बहुत लेते है तब उसने ठान ली कि मरेंगे तो वृन्दावन में और जियेंगे तो वृन्दावन में ये है मेरे वृन्दावन का रहस्य

श्री राधा गोविंद के चरण- कमलों को ना भूलें ,यही सावधान रहने की बात है ।श्रीराधारानी ने अत्यंत दया करके जिन्हें ब्रजवास दे दिया है ,उनके लिए यह निश्चित है कि जो खुशी से वृंदावन नहीं छोड़कर नहीं जा सकते है

जिन्होंने ब्रजवास अपना लिया है ,उन्हें चाहिए कि ब्रजवास का आनंद लेते हुए, जीवन के शेष दिन बिता दें, तथा श्रीराधारानी की कृपा के भरोसे निश्चिंत रहें ।मन में यह निश्चय कर लें की अंत समय श्रीभानु किशोरी श्रीकृष्ण के साथ मुझे लेने अवश्य पधारें।

भला ,कोई उनके निवास स्थान पर आकर इतने दिनों तक बसा रहे और वे एक बार भी दर्शन देने ना पधारें। यह भी कभी हो सकता है ।वह तो आएंगी ही ।यह दृढ़ विश्वास करके उल्लास से ब्रजवास का सुख लूटे ।सर्वथा सत्य सिद्धांत है यदि हम लोग श्रीभानु किशोरी की कृपा के बल पर ऐसी आशा लगाए रहेंगे ,तो कभी निराशा नहीं होगी। वास्तव में श्रीभानु किशोरी कितनी कोमल ह्रदय हैं ,

कैसी करुणामई है ,इसकी कल्पना भी अभी हम लोगों को नहीं हुई ।यदि कल्पना हो गई होती ,तो हम लोग आनन्द से पागल जैसे हो गए होते ।जो हो ,खूब मौज से ब्रज में बस रहना चाहिए ।भले ही घर पर ब्रज पात होता रहे। ब्रज छोड़कर टस से मस ना हुआ जाए ।बस निश्चिंत चित्त से श्रीराधारानी के धाम में निवास कीजिए ।याद रखें भगवान और भगवान के धाम में किंचित भी अंतर नहीं है। श्रीधाम के संपर्क में आना सर्वथा श्रीकृष्ण के संपर्क में आना है

बोलो जय जय श्री राधे

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