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*लाडली किशोरी जू*

🙏🏻🙏🏻किसी गांव में रमा नाम की एक भोली भाली औरत रहती थी ।चार-पांच साल हो चुके थे उसकी शादी को लेकिन उसके घर पर अभी तक कोई बालक ने जन्म नहीं लिया था रमा और उसका पति बालक के लिए बहुत तरसते थे उसकी सास को भी बहुत शौक था कि वह जल्दी से दादी बने। 1 दिन रमा के मुहल्ले की 8-10 औरतें राधा अष्टमी के उपलक्ष में किशोरी जी के दर्शन करने के लिए बरसाना धाम जा रही थी ।उन्होंने रमा और उसकी सास को भी चलने को कहा तो रमा की सास बोली कि आप लोग रमा को ले जाओ दोनों एक साथ घर से नहीं जा सकती घर में मेरे बेटे और पति को खाने की दिक्कत होगी ।रमा पहले कभी भी बरसाना धाम नहीं गई थी वह बड़ी उत्सुक थी बरसाना धाम जाने को।
ऊपर से उसकी सास ने रमा को कहा था बेटी जाओ किशोरी जू बहुत करुणामई है शायद वह तेरी गोदी भर दे बस यही बात रमा के दिमाग में बैठ गई कि अब तो मुझे जाना ही जाना है ।उसके पति ने भी उसको जाने की आज्ञा दे दी हालांकि वह आठ-दस दिनों के लिए कभी भी अपने पति से दूर नहीं रही थी ।फिर भी वह जाने को तैयार हो गई रात की गाड़ी से सबको बरसाना धाम जाना था ।कि उसी दिन शाम को रमा के पैर में चोट लग गई उससे चला भी नहीं जा रहा था। दर्द भी सहन नहीं हो रहा थी ।उसकी सास बोली कि तुम मत जाओ फिर कभी चले जाना तुम ऐसी हालत में नहीं हो कि जा सको ।लेकिन रमा न मानी  उसने तो बस मन बना लिया था कि बरसाना की किशोरी करुणामई है मेरी गोद जरूर भरेगी। बस यही सोचकर रमा बोली कोई बात नहीं मांझी मैं ठीक हूं।
बस रमा और मोहल्ले की औरतें राधे राधे राधे कृष्ण का जयकारा लगाती हुई बरसाना धाम को चल पड़ती है सारी रात गाड़ी में रमा और वह औरतें 1 मिनट के लिए भी नहीं सोती बस राधे कृष्ण का जाप करती रहती हैं ।बरसाना धाम पहुंचकर सभी नहा धोकर किशोरी जी के दर्शनों को चल पड़ती हैं। बरसाना की सीढ़ियों पर सब राधे-राधे कहते चढ़ती जाती है रमा के पैर में चोट लगी होने के कारण वह धीरे-धीरे चढ़ती है ।वह सब औरतों को कहती है कि आप अटारी तक पहुंचो मैं धीरे-धीरे चल रही हूं मैं बाद में पहुंच जाऊंगी। आप वहां मेरा इंतजार करना सभी चल पड़ती है ।रमा धीरे-धीरे चढ़ती होती है राधे-राधे कहती जाती है अभी वह आधी सीढ़ियां चढ़ी हुई होती है कि अचानक से उसका पैर मुड जाता है और वह गिरने लगती है तभी अचानक से एक सात साल की लड़की उसका हाथ  पकड़ लेती है और कहती है अरे मैया !ध्यान से कहीं गिर ना जाना ।वह रमा का इतनी मजबूती से पकड़ती है कि वह गिरते-गिरते बचती है।वह एकदम से घबराकर उस लड़की को कहती धन्यवाद बेटी अगर तुम ना होती तो आज तो मैं बस गिर ही जाती तो। वह लड़की कहती अरे, मैया मैं ना गिरने देती आपको ।जब भी वह लड़की रमा को मैया कहती तो रमा को बहुत सुकून मिलता। मैया शब्द सुनकर उसकी आंखो में आंसु आ गये ।वह थोड़ी देर वहीं पर बैठ गई तो वह लड़की बोली मैया मेरे लिए क्या लाई हो तो रमा हैरान होकर कहती कि मैं तेरे लिए क्या लाऊंगी मैं तो तुझे जानती नहीं तू कौन है? तो वह लड़की कहती मैं तो यहीं रहती हूं सब मुझे प्यार से लाडो कहते हैं तू भी मुझे लाडो कहो मैंने तुझे गिरने से बचाया तो मुझे क्या दोगी उसकी भोली भाली बातें सुनकर रमा मुस्कुराते हुए बोली क्या चाहिए मैं कल तुम्हें जरूर लाकर दूंगी मैं अब 8 दिन यही रहूंगी ।राधा अष्टमी में किशोरी जू के दर्शनों के बाद ही जाऊंगी तो लाडो बोली मुझे तो चूड़ी, कंगन ,मेहंदी घाघरा चोली ,माथे पर टीका गले, का हार बिच्छूए सब पसंद है आप कुछ भी ले आना तो रमा बोली अच्छा अच्छा सब लाकर दूंगी 'लाडो 'और उसकी  प्यार से सहलाती हुई कहती अब मैं अटारी पर जाती हूं ।तो लाडो बोली चल मैया मैं छोड़ आती हूं कहीं तुम फिर ना गिर जाओ। रमा तो लाडो की प्यारी प्यारी बातों से मंत्रमुग्ध उसका हाथ पकड़ बरसाने की सीढ़ियां चढ़ती जा रही थी । अटारी पहुंच किशोरी और ठाकुर जी का दर्शन कर रमा और वो औरतें वापस धर्मशाला आ गई। वहां आकर रमा को बस लाडो की बातें याद आ रही थी। अगले दिन वह लाडो के लिए बाजार से बहुत सुंदर चूड़ियां और पायल लेकर गई। वहां लाडो पहले  से हीउसका सीढी पर बैठ कर इंतजार कर रही थी ।रमा को देख कर बोली मैया लाई हो मेरे लिए चीजें तो रमा ने उसको चूड़ियां और पायल दे दी । लाडो बोली मैया यह तो कम है बाकी चीजें कहां है और मुंह फुलाकर बैठ गई तो रमा ने लाडो को सीने से लगा कर कहा ,मै अभी 8 दिन और यहां हू। मै रोज कुछ ना कुछ लाऊंगी अगर तुझे एक दिन में सब कुछ दे दूंगी तो फिर तू मुझे मिलने नहीं आएगी। तो लाडो शरारत से हंसती हुई वहां से भाग गई ।अब रमा उसके लिए मेहंदी गले का हार अपने हाथों से लहंगा चोली पर मोटा मोटा  गोटा लगाकर और बहुत सारी चीजें लाकर देने लगी ।अब 1 दिन रमा लाडो को बोली लाडो, अब तो सारी चीजें ला दी अब इसको पहन कर दिखा दो तो लाडो बोली ठीक है मैया कल राधा अष्टमी है कल डालूंगी ।आज उसके साथ एक लड़का भी था।रमा बोली लाडो यह कौन है ?लाडो बोली यह मेरा सखा कनुआ है हम लोग  हमेशा साथ ही रहते हैं।रमा बोली पता नहीं क्यों आज मैंने सोचा कि तेरे लिए तो सारी चीजें ले ली और क्या लूं तो मुझे यह धोती कुर्ता और मोर पंख वाला मुकुट बहुत पसंद आया ।आज मैं यह ले आई क्या मैं इसको ये चीजें दे दूं ।तो लाडो बोली हां हां मैया यह मेरा सखा है वो लडका  घुंघराले बालों वाला दूर से ही रमा को आकर्षित कर रहा था उसको अपने पास बुला कर गोदी में बिठा कर प्यार किया और उसको धोती कुर्ता और मुकुट दे दिया ।और वे दोनों वहां से चले गए। और रमा मंदिर के दर्शन कर वापस आ गई ।अगले दिन राधा अष्टमी थी मंदिर में लाखों की संख्या में लोग आए हुए थे और इसकी सहेलियां धीरे-धीरे बरसाने की सीढ़ियां चढ़ रही थी और सारे भगत राधे राधे बोलते जा रहे थे ।अब रमा वहां पहुंची जहां हर रोज लाडो रमा को मिलती होती थी आज लाडो वहा नहीं थी। उनको वहां न देख कर फिर उसने सोचा कि अधिक भीड़ के कारण आज वह यहां नहीं आई । अब वह अटारी दर्शनो के लिए पहुंच चुकी थी। मंदिर में बहुत भीड़ थी मंदिर में हर तरफ राधे राधे का माहौल बना हुआ था कोई नृत्य कर रहा था कोई गायन कर रहा था। अधिक भीड होने के कारण रमा को दर्शन नहीं हो पा रहे थे। फिर भी रमा मेहनत करके भीड़ को चीरती हुई किशोरी जू और श्याम जी के दर्शन किए तो कुछ पल के लिए रमा पत्थर सी हो गई क्योंकि किशोरी जु ने वही सब सामान डाला था जो रमा ने ला कर दिया था वही मोटे मोटे गोटे वाला नीले रंग का लहंगा वही पायल और ठाकुर जी ने वही कुर्ता धोती और मोर के पंख वाला मुकुट पहना हुआ था।  और तभी उसका माथा ठनका यह क्या यह गहने कपड़े किशोरी जु ने कैसे पहने तभी उसने पुजारी जी से पूछा कि आज की वस्त्र और श्रृंगार सेवा किसने की तो पुजारी जी बोले आज वस्त्रों की व्यवस्था खुद लाडली जीने की है पता नहीं आज जब हमने मंदिर के पट खोले तो यह सब वस्त्र यहां पड़े हुए थे। तो हमने किशोरी जी की इच्छा मान कर इसको पहना दिया। रमा तो बस मूर्छित होते होते बची उसको तो विश्वास ही नहीं हो रहा था  वह  अब सब समझ गई कि वह  जो रोज मुझे लाडो मिलती थी वह साक्षात किशोरी जू थी और वह कनुआ ठाकुर जी  थे। रमा तो जैसे पागल सी हो गई हो जल्दी-जल्दी भीड़ को चीरती हुई उस जगह पर पहुंच गई जहां लाडो और कनुआ मिले थे। वह जोर-जोर से पागलों की तरह लाडो लाडो पुकारने लगी । वह लाडो  लाडो कही जा रही थी तो आज  तो लाडो का दिन था उसने तो लाखों लोगों को दर्शन देने थे । रमा बोखलाई सी कहती जा रही थी ----लाडो
मेरी सूनी गोद की लाज तूने मेरी गोदी में बैठकर  पूरी कर दी ।तभी वहा उसकी  सहेलियां  वहा आ गई और बोली क्या हुआ रमा किसको पुकार  रही हो। परन्तु  रमा कुछ न बोली।
सब औरतों ने कहा चलो आज हमारी वापसी है तो रमा को यह बात  सुनकर करंट सा लगा।  वह बोली मै ना जाऊंगी जब तक लाडो मुझे ना मिलेंगी ।सब कहती किसके बारे में कह रही है। उनकी बातों का कोई उत्तर न देकर रमा लाडो लाडो पुकारने लगी ।सब ने उसको बहुत जोर डाला वापस चलो परंतु रमा टस से मस ना हुई ।हार कर सभी औरतें वापस आ गई घर आकर उसकी सास और पति को सब बताया उसका पति भी उसको लेने गया लेकिन रमा तो बस उस सीढी पर जडवत  होकर बैठ गई थी बस लाडो लाडो पुकार रही थी ।वह रोज सीढी पर आकर बैठती आंसुओं से सीढी को धोती पलकों से सीढी को बुहारती और आते जाते सब को कहती अभी आएगी लाडो बस आने वाली  है। और जब शाम तक लाडो नहीं आती तो उसके विरह में उसको ऐसी पीड़ा होती जैसे हजारों बिच्छू ने डंक मारा हो और  उस पीड़ा में उसे इतना आनंद आता क्योंकि वह लाडो ओर कान्हा के विरह की पीड़ा थी। अब ऐसा करते-करते रमा को सीढी पर बैठे 30 साल हो गए पर रमा ने हार ना मानी और अब वह बहुत कमजोर हो चुकी थी ।आंखों से धुंधला नजर आने लगा था कि तभी एक छोटी सी लड़की रमा का हाथ पकड़ कर अटारी पर ले गई और बोली  मैया  यह रही तुम्हारी लाडो और रमा ने देखा  कि उसकी  लाडो बाहें फैलाए उसको बुला रही है रमा खुशी से बावरी हो गई ।और तभी उसको आखरी हिचकी आई और वह चौखट पर गिर गई। ऐसा लग रहा था कि किशोरी जू ने रमा के शरीर का नही आत्मा काआलिंगन कर लिया है।
बोलो लाडली जू सरकार की जय  हो।
दासी सुरभि के शब्दों से 🙏🏻🙇🏼‍♀❤
*🌻🌻कृष्णं वन्दे🌻🌻*

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