*भक्त हिम्मतदास ! संत चरित्र*


💞💞🍀🍀💕💕🦚🦚🚼🚼🚼
*हिम्मत दास और उसकी पत्नी मे अगाध प्रेम था । दोनो ही भगवान के प्रति पूर्ण समर्पित थे ।*
  💞💦💞💦💞💦💞💦💞💦
*भगवान का वास्तविक भक्त होता है, वह लक्ष्मी की कृपा से वंचित रहता है ।*🔥🔥
*एक दिन चार संत हिम्मत दास के यहाँ पधारे, और उन्होंने भोजन की इच्छा प्रकट की । भक्त जी के घर मे उस दिन स्वयं तक के लिए भोजन की व्यवस्था नही थी ।*🍃🌹🍃
*परंतु पति को उदास देख कर अन्दर कमरे मे गयी और बक्से मे से ढूढ कर अपने मायके वाली नथ ले आयी।और हिम्मत दास के हाथो मे रख कर बड़े विनम्र भाव से बोली आप इसे सेठ के यहा गिरवी रख कर सामन ले आईये ।*💝🦚💝🦚💝🦚💝🦚
*वे नथ लेकर सेठ के यहाँ पहुंचे ।  नथ सेठ को देकर सारा सामान लाकर पत्नी को दिया और पत्नी से कहा, -- तुम भोजन तैयार करो, मै तब तक संतो को स्नान करा के लाता हूं ।*🙏
*उधर उसकी पत्नी भी कार्य मे लग गई, ,,, उधर भगवान अपने भक्त का कष्ट सहन नही कर सके , और तुरंत हिम्मत दास का रूप धारण कर सबसे पहले उस सेठ के यहाँ पहुंचे , जहाँ भक्त नथ गिरवी रख आया था ।*🍫🍬🍫🍬🍫🍬🍫🍬🍫🍬🍫
*सेठ का अगला पिछला सब हिसाब चुकता कर नथ लेकर हिम्मत दास के यहा पहुंचे, हिम्मत दास की पत्नी आगन लीप रही थी ।*💘🍀💘🍀💘🍀💘🍀💘🍀💘
*हिम्मत दास रूपी भगवान ने नथ उनकी ओर बढ़ा कर कहा --- इसे पहन लो । वह बोली -- मेरे हाथ गोवर से सने है, आप ही अपने हाथो से पहना दे । भगवान ने अपने हाथ से नथ पहनाई और कहा -- मै संतो को भोजन के लिए बुला कर लाता हूँ। शीघ्र भोजन तैयार करो,
भगवान अन्तर्धान हो गए ।*🍅🍋🍅
*तब तक हिम्मत दास संतो को स्नान करा कर ले आये, पत्नी को नथ पहने देख आश्चर्य से बोले -- प्रिये! यह नथ तो मै सेठ के यहाँ गिरवी रख आया था । तुम्हारे पास कहाँ से आ गई ? पत्नी बोली -- आप हसी क्यो करते है, अभी तो आप अपने हाथ से पहना कर गये है ।*🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃
*दौडते गये, पूछा -- सेटजी ! नथ कौन छुडा कर ले गया था?  सेठजी ने कहा -- भगत जी !अभी तो आप सब हिसाब चुकता कर नथ लेकर गये थे, फिर क्या बात हो गई ।*👏
*भक्त! का माथा ठनका! धन्य है प्रभु! भक्तो का कष्ट आप नही देख पाते! फिर तो भक्त हिम्मत दास तथा उनकी पत्नी प्रभु! दर्शन पाने हेतु दिन - रात भक्ति मे लीन हो गए । अन्त मे प्रभु की कृपा से सद्गति को प्राप्त हुए*
🙏🙏🌹🌹🍀🍀💘💘🔥🔥🔥

  ।। जय श्री राधे, जय श्री कृष्ण।।

Post a Comment

0 Comments