चंदन वृंदावन की ब्रज भूमि में रहने वाला अपने मां-बाप का इकलौता बेटा था। दिन भर वो ब्रज की रज में लोटपोट होता रहता अपने सखाओं के साथ अठखेलिय...
आज के विचार ( वैदेही की आत्मकथा - भाग 74 ) सीता चरण चोंच हति भागा.... ( रामचरितमानस ) ***कल से आगे का चरित्र - मैं वैदेही ! ओह ! यही हैं...
आज के विचार ( वैदेही की आत्मकथा - 73 ) सुरपति सुत धरि बायस बेषा.. ( रामचरितमानस ) **कल से आगे का चरित्र - मैं वैदेही ! देवराज इंद्र का वह...
आज के विचार ( वैदेही की आत्मकथा - भाग 72 ) एक बार चुनि कुसुम सुहाये ..... ( रामचरितमानस ) ***कल से आगे का चरित्र - मैं वैदेही ! भरत भैया च...
आज के विचार ( वैदेही की आत्मकथा - भाग 71 ) सादर भरत शीश धर लेहीं..... ( रामचरितमानस ) ***कल से आगे का चरित्र - मैं वैदेही ! भरत ! ...
आज के विचार ( वैदेही की आत्मकथा - भाग 70 ) सकुचि राम फिरि अवनि बिलोकि ..... ( रामचरितमानस ) **कल से आगे का चरित्र - मैं वैदेही ! कैकेई माँ...
आज के विचार ( वैदेही की आत्मकथा - भाग 69 ) जहँ तहँ काक उलूक बक, मानस सकृत मराल.... ( रामचरितमानस ) **कल से आगे का चरित्र - मैं वैदेही ! दूसर...
आज के विचार ( वैदेही की आत्मकथा - भाग 68 ) दोष देहि जननी जड़ तेहिं... ( रामचरितमानस ) **कल से आगे का चरित्र - मैं वैदेही ! माँ ! माँ ! म...
एक दिन सुबह पार्क में हरिनाम जप करते समय एक जानकार बूढ़े व्यक्ति ने व्यंगात्मक लहजे में कहा,"बेटा ये उम्र माला करने की नहीं मेहनत करके ख...
आज के विचार ( वैदेही की आत्मकथा - भाग 67 ) पुत्री पवित्र किये कुल दोउ.... ( रामचरितमानस ) ****कल से आगे का चरित्र - मैं वैदेही ! महाराज वि...
।।ॐ नमः शिवाय।। . सप्तऋषियों में एक ऋषि भृगु थे, वो स्त्रियों को तुच्छ समझते थे। . वो शिवजी को गुरुतुल्य मानते थे, किन्तु माँ पार्वती को वो...
आज के विचार ( वैदेही की आत्मकथा - भाग 66 ) सुनत जनक आगवनु सब ..... ( रामचरितमानस ) ***कल से आगे का चरित्र - मैं वैदेही ! प्रातः ही अपनें...
आज के विचार ( वैदेही की आत्मकथा - भाग 65 ) सुनिय सुधा देखिय गरल.... ( रामचरितमानस ) ***कल से आगे का चरित्र - मैं वैदेही ! कुमार ! भरत ...
🌷🌻🌷🌻🌷🌻🌷 सत्संग जीवन की अमूल्य निधि है। इतिहास उठाकर देखो तो पता चलेगा कि दुनियाँ में ऐसा कोई भी महापुरुष नहीं जो बिना सत्संग के आश्...
आज के विचार ( वैदेही की आत्मकथा - भाग 64 ) मन बुद्धि चित अह मिति बिसराई .... ( रामचरितमानस ) ***कल से आगे का चरित्र - मैं वैदेही ! भरत ! बत...